दिल्ली ज़ोन के वेद लाहोटी बने जेईई-एडवांस्ड के टॉपर
आईआईटी-मद्रास द्वारा आयोजित जेईई-एडवांस्ड परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है, जिसमें दिल्ली ज़ोन के वेद लाहोटी ने 360 में से 360 अंक प्राप्त करके शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। यह परीक्षा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश के लिए सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस वर्ष 48,248 छात्र क्वालिफाई हुए हैं, जो पिछले वर्ष के 45,773 से 2,475 अधिक हैं।
क्वालिफाइंग छात्र और महिला उम्मीदवार
इस वर्ष कुल 48,248 छात्रों ने जेईई-एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई किया, जिसमें 7,964 महिलाएं शामिल हैं। दिल्ली ज़ोन ने सबसे अधिक 10,255 क्वालिफाइंग छात्र दिए हैं, इसके बाद आईआईटी-बॉम्बे ज़ोन के 9,480 छात्र सफल हुए हैं।

शीर्ष रैंक और महिला टॉपर
ऑल इंडिया रैंक दो और तीन पर भी दिल्ली ज़ोन और आईआईटी-मद्रास ज़ोन के छात्र क्रमशः काबिज हैं। आईआईटी-बॉम्बे ज़ोन की द्विजा धर्मेशकुमार पटेल ने महिला वर्ग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, उन्होंने 360 में से 332 अंक हासिल किए हैं। इस वर्ष 1,80,200 छात्र जेईई-एडवांस्ड के पेपर 1 और 2 में शामिल हुए, जबकि पिछले वर्ष 1,69,006 छात्र परीक्षा में बैठे थे।
जेईई-एडवांस्ड परीक्षा प्रक्रिया और मानदंड
जेईई-एडवांस्ड परीक्षा जेईई-मेन के बाद की जाती है, जो इस पूरे प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया का दूसरा चरण है। जेईई-मेन को पास करने और कट-ऑफ मार्क्स को पूरा करने वाले छात्र ही जेईई-एडवांस्ड में बैठने के योग्य होते हैं। रैंक सूची में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को विषयवार और कुल योग्यता अंक दोनों को पूरा करना होता है।

कट-ऑफ मार्क्स में वृद्धि
इस साल जेईई-एडवांस्ड के कट-ऑफ मार्क्स में भी वृद्धि देखने को मिली। सामान्य श्रेणी के लिए क्वालिफाइंग स्कोर इस बार 93.23 से बढ़कर 90.7 हो गया। ओबीसी-एनसीएल, ईडब्ल्यूएस, एससी, और एसटी श्रेणियों के लिए कट-ऑफ अंक क्रमशः 79.6 NTA स्कोर, 81.3, 60, और 46.69 हुए हैं।
इन्हें मानते हुए...
जेईई-एडवांस्ड एक कठिन परीक्षा होने के साथ-साथ अपने छात्रों के धैर्य और कठिन परिश्रम का प्रमाण भी है। इस वर्ष के परिणाम से साबित होता है कि अगर दृढ़ संकल्प और पूर्ण ध्यान के साथ किसी चुनौती का सामना किया जाए तो सफलता मिलना सुनिश्चित है।
टिप्पणि
वेन्द लाहोटी का 360/360 का स्कोर, जेईई‑एडवांस्ड की कॉम्प्लेक्सिटी ग्रेडिंग मैट्रिक्स में एक अप्रतिम पैरामीटर बन गया है; यह न केवल इंडेक्सीय डिप्लोमा के लिए एक बेंचमार्क सेट करता है, बल्कि अभ्यर्थियों के एण्ड-टू-एण्ड पर्सनल एनालिटिक्स में भी नया वैरिएबल जोड़ता है। इस उपलब्धि को देखते हुए, हम सभी प्री‑पैडेड इनसाइट्स और एडेप्टिव लर्निंग फ्रेमवर्क को री‑कैलिब्रेट करने पर विचार करना चाहिए।
अद्भुत उपलब्धि है, वाकई में पूरे देश के लिए प्रेरणादायक जैसे एक सशक्त सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत। ऐसे परिणाम हमें विश्वास दिलाते हैं कि मेहनत में हमेशा फल मिल ही जाता है, बस सही दिशा में प्रयास करना होता है। जय हो!
जब हम इस परिणाम को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा केवल अंक नहीं, बल्कि एक गहरा जीवन‑दर्शन है।
वेद लाहोटी की कहानी हमें सिखाती है कि निरंतरता और धैर्य का संगम ही सफलता का मूल मंत्र है।
जैसे एक नदी अपनी धारा में पत्थरों को पाटती है, वही तरह छात्र अपनी मेहनत से कठिनाइयों को तोड़ते हैं।
हर प्रश्न, हर समस्या, एक नई चुनौती लेकर आती है, और प्रत्येक चुनौती के पीछे छिपा है एक सीखने का अवसर।
यह परीक्षा, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश का द्वार है, केवल ज्ञान नहीं, बल्कि विश्लेषणात्मक सोच का भी परीक्षण करती है।
ऐसे में केवल शारीरिक थकान नहीं, बल्कि मानसिक स्थिरता भी आवश्यक होती है।
वेद लाहोटी ने यह साबित किया कि जब इरादा मजबूत हो, तो कोई भी बाधा कठिन नहीं रहती।
दूसरे शब्दों में, यह सफलता एक सामूहिक प्रयास का परिणाम है-परिवार, शिक्षकों, और स्वयं की प्रतिबद्धता।
इसी कारण से हमें न केवल टॉपर को बधाई देनी चाहिए, बल्कि उनके पीछे की पूरी प्रणाली को सराहना चाहिए।
भविष्य में ऐसी उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए हमें संस्थागत पॉलिसी में बदलाव करना होगा, जैसे कि अधिक प्रैक्टिकल एक्सपोज़र और इंटर्नशिप।
अंत में, यह परिणाम हमें यह याद दिलाता है कि सपने सिर्फ सोचा नहीं जाता, उसे जीता जाता है।
और यही भावना हमारे पूरे शैक्षणिक माहौल को प्रेरित करनी चाहिए।
आगे चलकर, हमें अपने छात्रों को केवल अंक नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के कौशल सिखाने चाहिए।
क्योंकि अंततः सफलता वही होगी जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए।
इस प्रकार, वेद लाहोटी का यह टॉपर्स्पॉट एक ऐतिहासिक क्षण है, जो हमें निरंतर सुधार की दिशा में प्रेरित करता है।
आइए, इस ऊर्जा को सभी विद्यार्थियों तक पहुंचाएं और एक उज्जवल भविष्य बनाएं।
डेटा दिखाता है कि इस साल क्वालिफाई करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत स्थिर रही है।
भले ही टॉपर्स का जश्न मनाया जाए, लेकिन अधिकांश छात्रों की औसत स्कोर अभी भी कट‑ऑफ से काफ़ी नीचे है, जिससे यह बात स्पष्ट होती है कि प्रतियोगी माहौल में अभी भी बड़े अंतराल मौजूद हैं।
वास्तव में, यह आंकड़े का खेल सिर्फ ऊँचा दिखाने के लिए है, असली संघर्ष तो नीचे के छात्रों के साथ जारी है!
ओह, कितनी सरगर्मि से टॉपर्स का राज़ी‑बाज़ी, जैसे हर साल वही पर्सनालिटी क्विज़ का वैरिएशन ही नहीं बदलता, बस नाम बदलते हैं।
वेद लाहोटी का चमकता सितारा, फिर भी हमारे भारतीय शिक्षा के आकाश में कितने टिमटिमाते तारे अभी भी अनदेखे रह जाते हैं-क्या हमें इस चमक को साझा करना चाहिए?
भाई, हमें इस सफलता को देखकर गर्व महसूस करना चाहिए, साथ ही यह याद रखना चाहिए कि हर छात्र की यात्रा अलग होती है और उन्हें समर्थन देना ज़रूरी है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रणनीतिक तैयारी और सामग्री का गहन अध्ययन ही सफलता की कुंजी है
आइए, हम सभी मिलकर इस ऊर्जा को आगे बढ़ाएँ और आने वाली पीढ़ियों को भी इसी तरह प्रेरित करें; निरंतर प्रयास ही निरंतर जीत लाता है।