नूंह में रबी फसल खरीद प्रक्रिया पर ACS डॉ. अशोक खेमका की नजर
हरियाणा के डॉ. अशोक खेमका, जो राज्य में प्रशासनिक सख्ती के लिए पहचाने जाते हैं, ने नूंह जिले पहुंचकर रबी सीजन की फसल खरीद व्यवस्था को खुद देखा। मंडियों में किसानों से मिलकर उनकी परेशानियों की जानकारी ली। कहीं तौल में देरी हो रही थी, तो कहीं अदायगी फंसी हुई थी। डॉ. खेमका ने अफसरों से साफ कहा कि नूंह के किसान किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। खासकर रबी फसल खरीद में गेंहू और सरसों की खरीद का हर स्टेप पारदर्शी और तेज बनाना जरूरी है। किसानों की बिक्री के दौरान नापतौल, भंडारण और भुगतान से जुड़ी दिक्कतें जमीनी स्तर तक समझकर, मौके पर ही अधिकारियों को प्रक्रिया दुरुस्त करने के आदेश दिए।
निरीक्षण के दौरान डॉ. खेमका ने मंडी में लंबी लाइनों और ई-गिरदावरी के देरी की समस्याओं पर चर्चा की। मंडी में सूचना डिस्प्ले, किसानों की सुविधा के लिए बैठने की व्यवस्था, पेयजल, और शेड जैसी बुनियादी सुविधाओं की हकीकत जानी। उन्होंने साफ हिदायत दी कि मंडियों में किसानों को घंटों इंतजार न करना पड़े। डिजिटल तंत्र को भी अपडेट करने, पर्ची सिस्टम को पारदर्शी रखने और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही।
शैक्षणिक आधारभूत ढांचे की हकीकत
रबी फसलों के बाद डॉ. अशोक खेमका ने नूंह जिले के स्कूल और कॉलेजों का दौरा किया। वे सीधे क्लासरूम, लाइब्रेरी और शिक्षा व्यवस्था की क्वालिटी तक पहुंचे। कई स्कूलों में उन्होंने बच्चों से बातचीत की और जाना कि पढ़ाई में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनकी नजर में किताबों, डिजिटल क्लासरूम, लैब्स व साफ-सफाई के मानकों को पूरा करना बेहद जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा, जहां टीचिंग स्टाफ की कमी है, अब इन्फॉर्मेशन मांगकर फौरन कदम उठाएं।
खेमका ने स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, उपलब्ध संसाधनों और शिक्षक-छात्र अनुपात के आंकड़े खुद देखे। उन्होंने स्कूलों में लाइब्रेरी के हाल, कंप्यूटर लैब्स की स्थिति और पढ़ाई की निगरानी प्रणाली पर रिपोर्ट माँगी। जिले के शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगर किसी स्कूल में कोई संसाधन कम है, तो अगले सप्ताह तक उसकी पूर्ति सुनिश्चित करें।
- मंडियों में किसान हितों के लिए तुरंत व्यवस्थाओं में सुधार
- स्कूलों में शिक्षक और संसाधनों की कमी पर तेजी से कदम
- प्रशासनिक स्तर पर जवाबदेही और मॉनिटरिंग पर जोर
डॉ. अशोक खेमका की इस विजिट को जिले में प्रशासनिक सक्रियता के नए संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले भी उन्होंने कई बार फील्ड में उतरकर अफसरों से सीधी जवाबदेही तय की है। 이번 दौरे के बाद किसानों और विद्यार्थियों को वास्तविक सुधार देखने की उम्मीद है।
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