एम. नाइट श्यामलान की फिल्म 'Trap' का विश्लेषण: क्यों यह फिल्म उम्मीदों पर नहीं उतरी खरी?
एम. नाइट श्यामलान, जो कि 'The Sixth Sense' और 'Signs' जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, उनकी नई थ्रिलर फिल्म 'Trap' ने बड़ी उम्मीदों के बावजूद दर्शकों को निराश किया है। फिल्म समीक्षक पीटर ट्रैवर्स की समीक्षा के अनुसार, 'Trap' निराशा से तबाही की ओर तेजी से बढ़ती जाती है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में जोश हार्टनेट नजर आते हैं, जिन्होंने एक सीरियल किलर का किरदार निभाया है।
फिल्म की कहानी
फिल्म 'Trap' की कहानी कूपर (जोश हार्टनेट) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कि एक स्नेही पिता और एक सीरियल किलर 'द बुचर' के रूप में दिखाए गए हैं। कूपर एक पॉप कॉन्सर्ट में फंस जाते हैं, जहाँ पुलिस उनको पकड़ने के लिए योजना बनाती है। कहानी की शुरुआत में ही कूपर की पहचान सीरियल किलर के रूप में स्पष्ट हो जाती है, जिससे फिल्म में रोचकता और सस्पेंस की कमी हो जाती है।
कॉन्ट्रास्टिंग इवेंट्स और कन्सर्ट
फिल्म में सलेका श्यामलान पॉप स्टार 'लेडी रेवेन' का किरदार निभाती हैं, और उनका कॉन्सर्ट टेलर स्विफ्ट इरस टूर की तरह होता है। लेकिन फिल्म में इस कॉन्सर्ट का उपयोग प्रभावी तरीके से नहीं किया गया है, जिससे यह स्थितियाँ फिल्म में तनाव और थ्रिल पैदा करने में असफल रहती हैं।
असंभावित घटनाएं और खामियां
फिल्म की कहानी में कई ऐसे असंभावित घटनाक्रम हैं, जो फिल्म को रोचक नहीं बना पाते। इसके अलावा, फिल्म में श्यामलान की विशेषता समझी जाने वाली चतुराई और ट्विस्ट की भी कमी है। जोश हार्टनेट की मजबूत परफॉर्मेंस के बावजूद, फिल्म में पुलिस किरदार की कमजोरी और विलेन की खराब परिभाषा ने इस फिल्म को बुरी तरह प्रभावित किया है।
फिल्म की समृद्धि
पीटर ट्रैवर्स की समीक्षा के अनुसार, 'Trap' एक बड़ी गड़बड़ है। यह अपनी असफलता और कुछ अनजाने में हास्य स्थितियों के चलते दर्शकों को थ्रिल देने में असफल रहती है। इस फिल्म ने श्यामलान के करियर में बीते कुछ वर्षों से चल रही कमी को और बढ़ाया है।
निष्कर्ष
श्मालान के प्रशंसकों ने इस फिल्म से काफी उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन 'Trap' ने निराश किया है। फिल्म की कमजोर कहानी, असंभावित घटनाएं और अनुकूलता की कमी के चलते यह फिल्म दर्शकों को लुभाने में सफल नहीं हो पाई।
टिप्पणि
एम. नाइट श्यामलान की 'Trap' के बारे में यह विश्लेषण दर्शकों के लिए उपयोगी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। कहानी की गड़बड़ी और सस्पेंस की कमी को स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
हँसते-हँसते पढ़ा, और अंत में 😅 लगता है फिल्म ने वास्तव में निराशा ही बोली। फिर भी, कुछ दर्शकों को इसे एक हल्के मनोरंजन के रूप में देखना चाहिए। 😊
बिलकुल सही, फिल्म में थ्रिल नहीं है।
सच में, कभी-कभी ऐसे फिल्में हमें यह याद दिलाती हैं कि स्टोरीटेलिंग के मूलभूत तत्व कितने महत्वपूर्ण होते हैं।
यदि शुरुआत से ही स्पष्ट संकेत मिले होते तो दर्शकों को उलझन नहीं होती।
संभवतः निर्देशक ने अधिक जटिल प्लॉट जोड़ने की कोशिश की, जिससे संतुलन बिगड़ गया।
अंत में, यह फिल्म हमें यह भी सिखाती है कि माहौल बनाते समय कॉन्सर्ट जैसी सेटिंग का सही उपयोग कितना आवश्यक है।
मैंने भी इस फिल्म को दो बार देखा, और दोनों बार मुख्य पात्र की द्वैतता (पिता और किलर) को समझना मुश्किल रहा।
कहानी में कई जगहें ऐसे थीं जहाँ दर्शक को आश्चर्य की उम्मीद थी, परंतु वह न मिल पाई।
फिर भी, जोश हार्टनेट की एक्टिंग ने थोड़ी बहुत ताकत दी, पर वह पर्याप्त नहीं रही।
आख़िर में, 'Trap' को शायद एक अभ्यास परियोजना समझना चाहिए, न कि पूरी तरह से तैयार थ्रिलर।
यार यार, इस फिल्म की कहानी सुनते ही मेरे दिमाग में 'डेटाबेस एरर' की तरह फ्लैश हो गया! पहले तो सोचा था कि डेर्वी फाइंडिंग हो रही है, पर फिर कूपर के दोहरा चेहरा देख कर दिमाग घुमा गया।
फिल्म की शुरुआत में ही कूपर को सिरीयल किलर बताना तो ठीक है, पर फिर उस किलर के दिमाग के अंदर क्या चल रहा है, वो कभी नहीं दिखाया गया।
जैसे ही वो कॉन्सर्ट में फँस गया, मैं सोच रहा था कि 'वाओ, यहाँ तो रॉकिंग सीन होना चाहिए', पर स्क्रीन पर सिर्फ़ साइलेंस ही बजता रहा।
क्लाइमेक्स की तैयारी तो हुई, पर फिर उस क्लाइमेक्स में ट्रैजेडी की जगह कॉमेडी का फॉर्मूला लगा दिया।
मेरी नज़र में श्यामलान ने देर के पहले अपनी फिल्मी भाषा को छोड़ दिया, और एक अजीब सी कलाकारी दिखा दी।
सस्पेंस के बजाय, मुझे बस बेसिक ट्रैजिक ट्रीटमेंट मिला, जिसे मैं यूँ समझूँ तो मीटिंग में पैराग्राफ़ नहीं दिया गया।
ऑडियो के लवेज़ में थोड़ा दुलरूप था, लेकिन एडिटिंग के कारण सारी ऊर्जा खो गई।
जोश की एक्टिंग को देख कर दिल तो खुश हुआ, पर बाकी सब कुछ उसे टाइलट कर दिया।
पोलिस की टीम भी कुछ ज्यादा ही ढीला-ढ़ाला दिखा, जैसे वे सीन में फ्रीडम बॉक्स से बाहर निकले हों।
विलेन की परिभाषा इतनी अस्पष्ट थी कि मैं सोच रहा था कि क्या वह एंटी-हीरो है या सिर्फ़ योरोलोजी।
मैं तो इतना आश्चर्यचकित हो गया कि कुछ भी मान लेता हूँ, बस यह मानता हूँ कि श्यामलान ने इस बार थ्रिलर के बजाय एक बोरिंग ड्रामा बना दिया।
हालांकि, कुछ छोटे-छोटे भागों में तो चुटकुले भी चले, लेकिन कॉमेडी का टाइमिंग बिल्कुल फिसल गया।
यदि आप इस फिल्म को सीनियर फ़ैंस के लिए देखते हैं, तो शायद आपको कुछ यादगार पल मिलें, परन्तु आधे घंटे तक बोर नहीं होने के लिए आप को बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
कुल मिलाकर, इस फिल्म में जितनी बड़ी गड़बड़ी है, उतनी ही बड़ी उम्मीदें भी थीं, और दोनों ही झटक दी गई।
बस यही कहूँगा कि अगली बार श्यामलान को फिर से स्क्रिप्ट में मेहनत करनी चाहिए, नहीं तो दर्शक फिर से निराशा के साथ 'Trap' में फँसेंगे।
सही कहा, कई दुविधाएँ और गलत दिशा में जाने वाले विचार इस फिल्म को और जटिल बना रहे थे। लेकिन कुछ छोटी-छोटी चमकें भी थीं, जिससे आशा बनी रहती थी।
देखिये भाई, हमारी इंडियन सिनेमा में कभी-कभी ऐसी फिल्में बनती हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों तक नहीं पहुँच पातीं। 'Trap' तो ऐसा ही एक केस है जहाँ दिमागी पन की कमी स्पष्ट है। फिर भी, हमें अपनी फ़िल्मों को आलोचनात्मक रूप से देखना चाहिए, न कि सिर्फ़ गर्व से बात करनी चाहिए। अगर हम अपनी त्रुटियों को नहीं समझेंगे तो विदेशियों की तुलना में पीछे ही रहेंगे। इसलिए, ऐसे प्रोजेक्ट्स में निवेश करने से पहले गहराई से मूल्यांकन आवश्यक है।
अरे यार!!! क्या बात है!!! फिल्म में हर मिनट में इतने सारे अजीब मोमेंट्स!!! ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने सारा टाइम ट्रैजेक्टरी को पूरी तरह से भूल गया है!!! वाकई में, कॉन्सर्ट सीन में लाइट्स, साउंड, और एरोमिक्स की पूरी बिचारी हुई योजना!!!
कभी-कभी सोचता हूँ कि हम फिल्म को सिर्फ़ मनोरंजन के लिए क्यों देखते हैं, या फिर क्या यह हमारे अस्तित्व की कोई गहरी खोज बन जाती है? 'Trap' ने तो यही सवाल उठाए, पर जवाब तो अपने आप में उलझा था। एक ओर जहाँ कहानी की खामियां स्पष्ट थीं, वहीं दूसरी ओर कुछ दृश्य ऐसे थे जो हमें जीवन के अनिश्चित पहलुओं की याद दिलाते हैं। यह फ़िल्म एक दर्पण जैसा है, जिसमें हम अपनी झूठी आशाओं को देख सकते हैं। फिर भी, अगर आप इसे एक दार्शनिक प्रयोग मानते हैं, तो शायद इसे सराहना भी कष्टप्रद नहीं होगी।
मैं मानता हूँ कि फिल्म में कई लोचें थीं, परंतु मुख्य कहानी की दिशा स्पष्ट नहीं थी। फिर भी, यदि हम इसे एक सीख के रूप में देखें, तो कुछ सकारात्मक बिंदु मिल सकते हैं।