ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की हालत पतली
7 मई, 2025 की रात पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाक अधिकृत कश्मीर और पंजाब के नौ अहम इलाकों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में रफाल फाइटर जेट, SCALP मिसाइल, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और स्कायस्ट्राइकर ड्रोन जैसे एडवांस हथियारों का इस्तेमाल किया गया। खास बात ये रही कि भारत ने अपनी सीमा पार किए बिना ही पाकिस्तानी टारगेट्स को ध्वस्त किया।
जिन इलाकों को निशाना बनाया गया, उनमें बहावलपुर (जहां जैश-ए-मोहम्मद का बेस है) और मुरिदके (लश्कर-ए-तैयबा का गढ़) जैसे कुख्यात आतंकी अड्डे शामिल थे। ये कार्रवाई हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसमें मारे गए 26 नागरिकों के जवाब में की गई थी। भारतीय सेना का प्लान इतना सटीक था कि पाकिस्तान की मिसाइल डिफेंस प्रणाली कुछ कर ही नहीं पाई।
जनरल असीम मुनीर की परीक्षा, वैश्विक चर्चाओं में पाकिस्तान की फजीहत
पाकिस्तान सेना की इस कमजोर प्रतिक्रिया ने दुनियाभर में चर्चा पैदा कर दी। अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाक फौज को 'डरा हुआ कुत्ता' बता दिया। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने तुरंत सीजफायर की गुहार लगाई, सेना का नेतृत्व कमजोर दिखा और असीम मुनीर के पद पर बने रहने को लेकर सवाल खड़े हो गए।
गौरतलब है, यही असीम मुनीर कुछ दिन पहले दावा कर रहे थे कि उनकी फौज 'अटूट' है और भारत के दांव-पेचों से डरनेवाली नहीं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह बयान खुद ही पाकिस्तान के लिए मजाक बन गया। भारत के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने पाकिस्तानी सरकार के बयानों की पोल खोल दी, जिसमें पाकिस्तान हमलों से मुकरने की कोशिश कर रहा था। PIB ने तर्क के साथ बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों के बयान आपस में ही टकरा रहे हैं।
इन घटनाओं ने पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था की कमजोरी को उजागर कर दिया। टेक्नोलॉजी, इंटेलिजेंस और सैन्य सामर्थ्य, तीनों ही मोर्चों पर पाकिस्तान, भारतीय रणनीति के सामने बेबस दिखा। अब खुद पाकिस्तान के भीतर सरकार और सेना में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा खुल कर हो रही है।
- Operation Sindoor की वजह से पाकिस्तान की सेना की प्रतिष्ठा को गहरा झटका लगा।
- जनरल असीम मुनीर की रणनीतिक क्षमता खुलकर सवालों के घेरे में आ गई है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि एक बार फिर कमजोर और भ्रमित नेतृत्व वाली सेना के तौर पर पक्की हो गई है।
अब पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडे और आर्मी कमांडर के भविष्य पर सवाल मंडरा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि ऐसे तगड़े झटके के बाद कभी-कभी बड़े सेना-परिवर्तन की शुरुआत हो जाती है।
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