पुणे की आईएएस अधिकारी का तबादला: शक्ति के दुरुपयोग पर विवाद
पुणे की आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी डॉ. पूजा खेडकर को महाराष्ट्र सरकार द्वारा वाशिम जिले में स्थानांतरित किया गया है। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई अनुचित सुविधाओं का लाभ उठाने का प्रयास किया। इन आरोपों में निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती का उपयोग और वीआईपी नंबर प्लेट, निजी गाड़ी पर 'महाराष्ट्र सरकार' का बोर्ड लगाना आदि शामिल हैं।
डॉ. पूजा खेडकर पर लगे आरोप
डॉ. पूजा खेडकर, जोकि यूपीएससी परीक्षा में 841वीं रैंक पर हैं, पर आरोप है कि उन्होंने न केवल सरकारी गाड़ी, सरकारी आवास और आधिकारिक चैंबर की मांग की, बल्कि प्रशिक्षु होते हुए भी अपने लिए एक कांस्टेबल की मांग की। इस संदर्भ में यह भी देखा गया कि उन्होंने अतिरिक्त कलेक्टर के चैम्बर का उपयोग किया और बिना अनुमति के फर्नीचर बदलवाने का आदेश दिया।
संपूर्ण घटनाक्रम
घटना के अनुसार, डॉ. खेडकर ने राजस्व सहायक को अपने नाम पर विभिन्न सामान दिलाने का निर्देश भी दिया था। आरोप है कि उनके सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी पिता ने जिलाधिकारी कार्यालय पर दबाव डालने का भी प्रयास किया, ताकि उनकी मांगें पूरी की जा सकें। इससे डॉ. खेडकर द्वारा शक्ति के दुरुपयोग की पुष्टि होती है और इसलिए उन्हें वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहाँ वे प्रशिक्षु अवधि के दौरान सहायक कलेक्टर के रूप में कार्य करेंगी।
प्रभारी अधिकारी का बयान
पुणे के जिला क्लेक्टर कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है और यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि शक्ति का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्चतर अधिकारियों द्वारा मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और भविष्य में ऐसे विभाजन आदेशों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
ट्रांसफर के बाद नये कार्यक्षेत्र में जिम्मेदारी
वाशिम में स्थानांतरित होने के बाद, डॉ. खेडकर का यह नया कार्यक्षेत्र उनके व्यक्तित्व और अधिकारी के रूप में उनकी जिम्मेदारियों को स्पष्ट करेगा। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वाशिम में उन्हें अपनी पेशेवर कर्तव्यों की समझ विकसित करने के अवसर मिलेंगे, और उम्मीद है कि वे अपने अनुभव से सीख लेकर सही दिशा में आगे बढ़ेंगी।
इसी के साथ, यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की एक नई मिसाल पेश करेगी। इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों के आचरण और पेशेवर नैतिकता पर भी सवाल खड़े किए हैं। स्पष्ट रूप से, यह मामला इस संकेत की तरफ इशारा करता है कि प्रशासन में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है और शक्ति का दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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