गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व
गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की इंद्र देव पर विजय की कथा से जुड़ी है। इसे भक्त भगवान कृष्ण की अनुग्रह शक्ति और उनके द्वारा ब्रजवासियों को इंद्र की भयंकर बारिश से बचाने के प्रतीक के रूप में मानते हैं। इस दिन विशेष रूप से बनाए गए गोवर्धन पर्व की पूजा करने की प्रथा है, जिसे गोमय (गाय के गोबर) से बनाया जाता है। इसे पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जो 2024 में 2 नवंबर को आएगी। इस दिन भगवान को सात परिक्रमाएँ अर्पित की जाती हैं, जो भक्ति का प्रतीक हैं।
पूजन विधि और प्रक्रिया
पूजा विधि की शुरुआत सूर्य उदय के समय होती है। इस दिन भक्त जल्दी उठते हैं और पवित्र स्नान करते हैं। घर के आंगन में गोमय से गोवर्धन का स्वरूप बनाते हैं और उसे फूल-मालाओं और तिलक से सजाया जाता है। भक्त इन्हें मिठाइयां, फल और अन्नकूट का विशेष भोग अर्पित करते हैं। अन्नकूट कई सब्जियों और कढ़ी का बना होता है। पूजा के दौरान मंत्रोच्चारण के साथ-साथ गोवर्धन की परिक्रमा की जाती है।
अन्नकूट प्रसाद की तैयारी
अन्नकूट के लिए विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के अनाज, सब्जियां और कढ़ी शामिल होती हैं। भक्त इसे भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण करते हैं, और इसे दिव्य प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। यह प्रसाद विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रसिद्ध है और इसे गोवर्धन पूजा की एक विशेष परंपरा माना जाता है।
घरों में गोवर्धन पूजा की विधि
जो लोग गोवर्धन पर्वत की यात्रा नहीं कर सकते, वे घर पर ही गोवर्धन पूजा कर सकते हैं। इसके लिए घर को साफ-सुथरा कर लें और फिर गोवर्धन की आकृति घर के प्रवेश द्वार पर बनाएं। इस आकृति की पूजा उचित ढंग से करें। दीप जलाएं और भगवान को तिलक लगाएं। पूजन के बाद परिक्रमा की जाती है और प्रसाद का वितरण होता है। इसका उद्देश्य जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करना होता है।
उज्ज्वल दीयों से घरों का अलंकरण
गाय के श्रृंगार, दीयों की रोशनी और मिठाइयों के इस उत्सव में हर घर प्रकाशमय हो उठता है। दीयों को जलाने के पीछे अंधकार को दूर भगाने और आशा की नई किरण को जगाने की भावना रहती है। सूर्यास्त के पश्चात, जब दीयों की पंक्ति सजी होती है, तो यह दृश्य देखकर सभी का मन हर्षोल्लास से भर उठता है। यह न केवल पर्यावरण को शुद्ध करता है बल्कि जीवन के प्रति नया नजरिया भी विकसित करता है।
गोवर्धन पूजा के लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस पूजा से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं। गायों की पूजा से परिवार में सुख-शांति आती है। गोवर्धन पूजा का अनुष्ठान व्यक्ति के लिए आत्मिक संतोष और नई ऊर्जा लेकर आता है। इस पर्व का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने की प्रेरणा भी देता है।
2024 में, यह पावन अवसर परिवार और समाज के लिए एकता और समर्पण भावना को बढ़ावा देगा। भगवान कृष्ण का यह त्यौहार परस्पर संबंध सुधारने और समाज में भाईचारे का संदेश फैलाने का अवसर प्रदत्त करता है। अतः इस पवित्र दिन को पूरे उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाना चाहिए।
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