कार्तिक पूर्णिमा 2024: एक पावन पर्व
हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी विशेष होता है, क्योंकि यह भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का दिन भी है। साथ ही, इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा हेतु भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पावन पर्व को पूरे भारत में भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है और इसी दिन सिख धर्म में गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है।
महत्व और धार्मिकता
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हिन्दू पंचांग में धार्मिक महत्व का धनी होता है। इस दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नान करने का रिवाज है, जिसे 'कार्तिक स्नान' कहा जाता है। इसे करने से पापों की मुक्ति मिलती है और मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता आती है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिससे देवताओं और मानव जाति को बड़ी राहत मिली थी।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा 2024 पर पूर्णिमा तिथि 15 नवम्बर को प्रातः 6:19 बजे से प्रारंभ होकर 16 नवम्बर को 2:58 बजे तक रहेगी। इस दौरान स्नान और पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है। ब्रह्म मुहूर्त के दौरान उठकर स्नान लेना चाहिए। यदि पवित्र नदियों में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। पूजा की शुरुआत भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर की जाती है। इसके बाद भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है।
पूजा के अनुष्ठान
इस पर्व पर अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाना और व्रत का संकल्प लेना प्रमुख होता है। दिन के दौरान दीप जलाकर विभिन्न स्थानों पर रखना जाना चाहिए जैसे घर के मुख्य द्वार, मंदिर और तुलसी के पौधे के पास। इसके अलावा सत्यनारायण व्रत और रुद्राभिषेक का भी आयोजन होता है, जिसमें भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाता है।
दान-पुण्य का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, घी और आटा दान करने का धार्मिक महत्व है, जिसका फल अनंत गुना अधिक होता है। जरूरतमंद लोगों को इन चीजों का दान करने से शुभ फल मिलता है और मन को संतोष प्राप्त होता है। इसका उद्देश्य समाज में भलाई के लिए योगदान देना होता है।
तुलसी विवाह
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी होता है। तुलसी माला का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत विशेष माना जाता है। इस समारोह को परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बल्कि मानसिक शांति और समाज में अच्छा करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। इस दिन की गई पूजा और दान से आत्मिक उन्नति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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