ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) — आसान भाषा में समझें

क्या आपने कभी देखा है कि नया फोन या किसी IPO की हिस्सेदारी पर लॉन्च से पहले ही ऊपर का दाम चढ़ जाता है? यही ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) है। इसे सरल शब्दों में समझें तो — आधिकारिक चैनल से मिलने वाली कीमत के ऊपर खुलने वाला अतिरिक्त माँग‑आधारित दाम।

यह प्रीमियम अक्सर सीमित उपलब्धता, तेज़ मांग या वितरण देरी की वजह से बनता है। IPO में GMP बताता है कि सूचीकृत होने पर शेयर की मांग कैसी रहेगी। फोन, गाड़ियां, कलेक्टिबल आइटम और यहां तक कि टिकट में भी ग्रे मार्केट प्रीमियम दिख सकता है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम के मुख्य कारण

कुछ साफ कारण हैं जिनसे GMP पैदा होता है —

1) सप्लाई‑डिमांड असंतुलन: नई रिलीज़ में स्टॉक कम हो और मांग ज्यादा हो।

2) समय की अहमियत: लोग जल्द हाथ में चाहिए चाहते हैं, इसलिए प्रीमियम चुकाने को तैयार रहते हैं।

3) री‑सेलर और स्पेकुलेशन: व्यापारी जल्दी मुनाफा कमाने के लिए स्टॉक खरीद लेते हैं और कीमत बढ़ा देते हैं।

4) क्षेत्रीय प्रतिबंध और इम्पोर्ट‑रुकी: कुछ प्रोडक्ट कुछ राज्यों या देशों में देर से आते हैं, जिससे लोकल प्रीमियम बनता है।

बचने के आसान तरीके और सुरक्षा टिप्स

ग्रे मार्केट प्रीमियम से बचने के लिए ये व्यवहारिक कदम अपनाएँ —

• आधिकारिक विक्रेता से खरीदें: यदि प्रोडक्ट पर वारंटी और सर्विस मायने रखती है, तो आधिकारिक चैनल पर ही खरीदें।

• इंतज़ार करने का विकल्प: अगर प्रीमियम बहुत ऊँचा है, तो कुछ दिन इंतज़ार करें; स्टॉक आ जाने पर दाम उतर सकते हैं।

• कीमत तुलना करें: अलग‑अलग प्लेटफ़ॉर्म और दुकानों की कीमतें चेक करें। कई बार फ्लैश‑सेल या ऑफ़र्स में बेहतर डील मिल जाती है।

• भरोसेमंद रिसेलर पहचानें: अगर ग्रे‑मार्केट से खरीदना ही हो तो पहले विक्रेता की रेटिंग, रिटर्न पॉलिसी और पेमेंट सुरक्षा चेक करें।

• गैरकानूनी ऑफ़र से सावधान रहें: नकली दस्तावेज, सस्ते पेमेंट गेटवे या अनियमित बिल दिखाने वाले विक्रेताओं से दूर रहें।

एक छोटा तय वाक्यांश भी मदद कर सकता है: “क्या यह ऑफिशियल इनवॉइस और वारंटी के साथ है?” यह सवाल विक्रेता की सचाई जल्दी बता देता है।

अगर आप पहले ही ज्यादा पैसे दे चुके हैं तो एक विकल्प है — उपभोक्ता चर्चा प्लेटफ़ॉर्म पर शिकायत, या प्रोडक्ट की हालत ठीक होने पर तुरंत री‑सेल कर नुकसान कम करना।

ग्रे मार्केट प्रीमियम हर जगह मिलता है, पर समझदारी और थोड़ी सावधानी से आप अनावश्यक खर्च से बच सकते हैं। अगली बार जब निशान से ऊपर कोई दाम दिखे, तो रुककर सोचें — क्या यह असली ज़रूरत है या सिर्फ फर्स्ट‑इन‑लाइफ का दबाव?

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