जूनटीन्थ: अमेरिका में गुलामी से मुक्ति का दिन
जूनटीन्थ हर साल 19 जून को मनाया जाता है। यह दिन उस खबर की याद दिलाता है जब 1865 में टेक्सास के गैलेस्टन में यूनियन जनरल गॉर्डन ग्रैन्ज़र ने गुलामों को आज़ाद होने की सूचना दी। ये घोषणा उस समय के लिए देर से आई थी, क्योंकि 1863 में राष्ट्रपति लिंकन ने इमांसिपेशन प्रोैक्लेमेशन जारी कर दिया था। फिर भी व्यवहारिक आज़ादी और सूचना पहुंचने में देरी हुई।
2021 में जूनटीन्थ को अमेरिका का संघीय अवकाश भी घोषित कर दिया गया। यानी अब यह सिर्फ स्थानीय उत्सव नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल गई। पर इसका असली अर्थ परेड या छुट्टी भर नहीं है — यह कई लोगों के लिए संघर्ष, याद और नई उम्मीद का प्रतीक है।
इतिहास और मतलब
जूनटीन्थ बताता है कि कानून और हकीकत हमेशा साथ नहीं चलते। इमांसिपेशन प्रोैक्लेमेशन ने गुलामी को खत्म करने का कानूनी रास्ता दिखाया, लेकिन कई जगहों पर गुलामों तक खबर पहुंचने में साल गुज़र गए। टेक्सास में 19 जून 1865 को जब यह खबर पहुंची, तब लोगों ने आज़ादी का जश्न मनाया। आज इसे याद कर हम उन वर्षों की लड़ाई और उनकी हिम्मत को सम्मान देते हैं।
इसे कैसे मनाएं और क्या करें
अगर आप भारत में हैं और जूनटीन्थ के बारे में जानना या मनाना चाहते हैं, तो छोटे-छोटे कदम बहुत मायने रखते हैं। कुछ आसान और स्पष्ट तरीके:
- पढ़ें और जानें: इतिहास पर भरोसेमंद किताबें, लेख और डॉक्युमेंट्री देखें। Ava DuVernay की फिल्म "13th" एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।
- स्थानीय या ऑनलाइन कार्यक्रमों में शामिल हों: कई विश्वविद्यालय, सांस्कृतिक संस्थान और समुदायों में जूनटीन्थ से जुड़े सत्र होंगे।
- संवाद शुरू करें: दोस्तों और परिवार से इतिहास और नस्लीय बराबरी पर बात करें। सवाल पूछें और सुनें।
- समर्थन दें: ब्लैक-क्रिएटर्स, लेखकों और कलाकारों का काम पढ़ें या खरीदें। उनकी कहानियाँ समझने से बहुत मिलता है।
- बच्चों को सिखाएँ: सरल भाषा में इतिहास बताएं और सहानुभूति व इंसाफ का पाठ पढ़ाएँ।
जूनटीन्थ केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक मौके जैसा है — इतिहास को समझने, गलतियों से सीखने और बराबरी पर मजबूत گفتگو शुरू करने का। अगर आप और पढ़ना चाहते हैं तो इस टैग पर जुड़े लेख देखें और घटनाओं की अपडेट्स लेते रहें।
यह आलेख K-12 शिक्षा में जूनटीन्थ को शामिल करने के महत्त्व पर केंद्रित है ताकि दासता और काले इतिहास की व्यापक समझ प्रदान की जा सके। इतिहासकार के व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से यह शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के तरीके बताता है जिनमें काले संस्कृति और उपलब्धियों की सकारात्मक कहानियाँ, काले प्रतिरोध और स्वतंत्रता सेनानियों की विरासतें और समकालीन न्याय की माँगें शामिल हैं।
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