हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: लोकतंत्र की परीक्षा
हरियाणा में इस बार के विधानसभा चुनाव ने राजनीतिक गर्मी को बढ़ा दिया है। 5 अक्टूबर 2024 को सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक चलने वाले मतदान ने पूरे राज्य की राजनीतिक धड़कनों को तेज कर दिया है। इस बार के चुनाव में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में बनाए गए 20,632 मतदान केंद्रों पर 2 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। वोट डालने वालों में 8,821 शतायु मतदाता भी शामिल हैं, जिन्होंने लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
भाजपा इस बार के चुनाव में तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस का आकर्षण इनमें बढ़ रहा है, जिसने पिछले दस वर्षों में एक मजबूत वापसी की रणनीति तैयार की है। कांग्रेस का नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे हैं, जिन्होंने अग्निवीर योजना, किसान आंदोलन और पहलवानों के आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है। पार्टी के घोषणा पत्र में सात प्रमुख गारंटी शामिल हैं, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानूनी प्रावधान, जाति सर्वेक्षण और महिलाओं को ₹2,000 मासिक भत्ता देने की बात कही गई है।
भाजपा की नीतियां और चुनौतियां
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिछले एक दशक में भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का ज़िक्र करते हुए हरियाणा को 'विकसित राज्य' बनाने की दिशा में सकारात्मक प्रगति पर बल दिया है। भाजपा ने अपने अभियान में शिक्षा, स्वास्थ्य, और इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुए विकास को उजागर किया है। जिला स्तर पर विभिन्न योजनाओं को सार्वजनिक किया गया है, जिनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में सुधार लाना है।
क्षेत्रीय दलों की स्थिति
दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) भी इस चुनावी दौड़ में उतरी हुई हैं। दोनों दल इस बार की चुनावी राजनीति में संभावित शक्ति संतुलक की भूमिका निभा सकते हैं। इससे राज्य की शासन व्यवस्था में संभवतः एक नया गठबंधन उभर कर आ सकता है। जेजेपी ने इस चुनाव में कई युवा नेताओं को टिकट दिया है, जिनका उद्देश्य नई पीढ़ी के वोटर्स को आकर्षित करना है।
प्रमुख राजनीतिक चेहरे
चुनाव के मैदान में इस बार कई प्रमुख चेहरे भी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, पहलवान विनेश फोगाट, और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला जैसे नेता इन चुनावों में मुख्य दावेदार हैं। यह चुनाव इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य और राज्य की नेतृत्व व्यवस्था के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
मतदान का उत्साह बहुत अधिक देखा जा रहा है, और शाम 6 बजे तक लगभग 65% मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके थे। कई चुनाव पूर्व तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं और कुछ एग्जिट पोल कांग्रेस की एक आसान जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि पार्टी 90 में से 50 से अधिक सीटें जीत सकती है।
खुलासा होगा कि कौन सा दल राज्य की गद्दी पर बैठेगा और आगामी राजनीतिक दिशा तय करेगा, जो विकास और नियोजन के लिए महत्वपूर्ण होगा। वर्तमान चुनावी दौर राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसका प्रभाव लंबे समय तक दिखाई देगा। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन सा दल इस जटिल चुनावी जंग में विजेता बन कर उभरेगा।
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