आयकर रिटर्न – सब कुछ जो आपको जानना चाहिए

जब आप आयकर रिटर्न, वित्तीय वर्ष की आय, कटौतियों और कर भुगतान को आधिकारिक रूप से रिपोर्ट करने वाला फॉर्म. Also known as Tax Return, it करदाता को अपनी कर योग्य आय की सही जानकारी दे कर भुगतान या रिफंड प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान बनाता है. भारत में हर व्यक्तियों और कंपनियों को यह दस्तावेज़ वार्षिक रूप से दाखिल करना अनिवार्य है, ताकि आयकर विभाग आपके कर दायित्व को सत्यापित कर सके।

मुख्य घटक और जुड़े संस्थान

आयकर रिटर्न को समझने में दो अन्य शब्द अक्सर सुनाई देते हैं – आयकर, वेतन, व्यावसायिक आय या पूँजी लाभ पर सरकारी द्वारा वसूल किया जाने वाला कर और CBDT, सेंटरल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, जो आयकर नीतियों और फॉर्म की जारी करने की देखरेख करता है. इन दोनों के बीच सीधा संबंध है: CBDT आयकर नियमों को बनाता है और आयकर रिटर्न के फॉर्मेट को निर्धारित करता है। इसी दौरान सेक्शन 87A, अल्पकालिक पूँजी लाभ पर रिबेट देने का प्रावधान, जिसका हालिया अपडेट कई करदाताओं को चौंका रहा है भी अक्सर चर्चा में आता है, क्योंकि इस सेक्शन का रिबेट लागू नहीं होने पर रिटर्न सुधार की ज़रूरत पड़ती है।

आयकर रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाने के लिए डिजिटल पोर्टल का इस्तेमाल बढ़ा है। अब ऑनलाइन फ़ॉर्म भरते समय आयकर रिटर्न की वैधता, दस्तावेज़ अपलोड और भुगतान की सुविधा एक ही मंच पर मिलती है। अधिकांश करदाता पोर्टल या मोबाइल ऐप के ज़रिये आईटीआर‑1, आईटीआर‑2, या आईटीआर‑4 जैसे विभिन्न फॉर्म का चयन कर सकते हैं, जो उनकी आय के स्रोत पर निर्भर करता है। इस प्रक्रिया में सही फॉर्म चुनना, सभी आय स्रोतों को कवर करना और सही कटौतियों को शामिल करना मूलभूत कदम हैं।

रिटर्न दाखिल करते समय सबसे आम गलती होती है रिवर्स टैक्स कैलकुलेशन या कटौती का गलत प्रयोग। उदाहरण के तौर पर, यदि आप सेक्शन 87A के तहत रिबेट जोड़ लेते हैं जबकि अब वह मान्य नहीं है, तो आपके रिटर्न को बाद में सुधारना पड़ेगा और ब्याज‑दंड लग सकता है। इसी कारण कई करदाताओं को CBDT के हालिया नोटिस का पालन करना ज़रूरी है, जिसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2025 तक भुगतान करने पर ब्याज माफ़ किया जाएगा, पर रिबेट को हटाना अनिवार्य है। ऐसे अपडेट को नज़रअंदाज़ करने से साल‑अंत में सरप्राइस टैक्स पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है।

हर वर्ष बजट में आयकर पर कई बदलाव आते हैं—नये स्लैब, छूट की सीमाएँ, या सेक्शन 139 के तहत रिटर्न सुधार की प्रक्रिया में बदलाव। 2025 के बजट में विशेष रूप से डिजिटल फ़ाइलिंग को प्रोत्साहित किया गया है और छोटे टैक्सपेयर के लिए सीमित आय वाले लोगों को सरल फॉर्म (आईटीआर‑4) उपलब्ध कराया गया है। इन बदलावों को समझकर आप सही समय पर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, रिफंड पा सकते हैं और अनावश्यक चेक‑पॉइंट से बच सकते हैं।

इस टैग पेज पर आप आयकर रिटर्न से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, सरकारी निर्देश और व्यावहारिक टिप्स पाएँगे। चाहे आप पहली बार फ़ाइल कर रहे हों या अनुभवी करदाता हों, सभी के लिए उपयोगी जानकारी यहाँ संग्रहीत है। नीचे दिए गए लेखों में आप विभिन्न स्थितियों—जैसे रिटर्न सुधार, सेक्शन 87A की रिबेट समस्या, ऑनलाइन फ़ाइलिंग के बेहतरीन तरीके और भविष्य की संभावनाओं—पर विस्तार से पढ़ सकेंगे। अब आगे बढ़ें और देखें कि कौन‑से लेख आपके कर‑जिंदगी को आसान बना सकते हैं।

CBDT ने टैक्स ऑडिट डेडलाइन बढ़ाई: अब 31 अक्टूबर 2025 तक

CBDT ने टैक्स ऑडिट डेडलाइन बढ़ाई: अब 31 अक्टूबर 2025 तक

सीबीडीटी ने आयकर वर्ष 2025‑26 के लिये टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी है। यह कदम पेशेवर संगठनों और उच्च न्यायालयों की माँगों के बाद उठाया गया। बढ़ती व्यापारिक बाधाओं, बाढ़ और मौसमी चीनी‑दीपावली अवधि को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया। अब ऑडिट रिपोर्ट और आयकर रिटर्न दोनों एक ही माह के अंत में जमा करने होंगे, जिससे अक्टूबर महिना व्यस्त रहेगा। विलंब करने पर जुर्माना 1.5 लाख रुपये या टर्नओवर का 0.5% तक हो सकता है।

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