बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

जब हम बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, भारत के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मानकों को उठाने के लिए स्थापित एक उच्च‑स्तरीय प्रशिक्षण परिसर. इसे अक्सर BCCI Center of Excellence कहा जाता है, तो इसका काम सिर्फ खेल मैदान तक सीमित नहीं है। इसी तरह BCCI, भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड इस केंद्र को नीति, फंडिंग और चयन प्रक्रिया से जोड़ता है, जिससे उभरते खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच सकें। इसके अलावा क्रिकेट, भारत का पसंदीदा खेल की लोकप्रियता के पीछे बुनियादी ढाँचा, कोचिंग और विज्ञान आधारित प्रशिक्षण आधार है। ये तीनों इकाइयाँ मिलकर खिलाड़ी विकास, सुविधाओं की उन्नति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करती हैं।

खिलाड़ी विकास – बीसीसीआई सेंटर का मुख्य उद्देश्य

बच्चों से लेकर अनुभवी खिलाड़ियों तक, खिलाड़ी विकास, टैलेट पहचान, तकनीकी सुधार और शारीरिक फिटनेस पर केंद्रित एक सतत प्रक्रिया यहाँ का मुख्य कार्य है। सेंटर में विशिष्ट वर्गीकरण – अंडर‑रोज़, अंडर‑19 और अंडर‑23 – के लिए अलग‑अलग अकादमी संरचनाएँ हैं। हर वर्ग के कोचिंग सत्र में डेटा‑ड्रिवन विश्लेषण, वीडियो रिव्यू और बायोमैकेनिक्स शामिल होते हैं, जिससे गेंदबाज़ी, बैटिंग और फील्डिंग में सटीक सुधार संभव हो पाता है। इस प्रणाली ने कई बार राष्ट्रीय टीम में नए चेहरों को शामिल किया है, जैसे हालिया BCCI AGM में उल्लेखित मिथुन मानहास के अध्यक्षता में अपनाई गई नई स्काउटिंग नीति।

सेंटर की सफलता का एक बड़ा कारण इसका विस्तार‑उन्मुख दृष्टिकोण है, जहाँ न केवल खेल कौशल बल्कि मानसिक दृढ़ता को भी प्रशिक्षित किया जाता है। सत्रों में नेत्रित्व प्रशिक्षण, डिप्रेशन‑प्रिवेंशन वर्कशॉप और पोषण विज्ञान की शिक्षा शामिल है, जिससे खिलाड़ी कोर्ट पर और बाहर दोनों जगह संतुलित रह सके। यह सम्पूर्ण पैकेज युवा भारतीय क्रिकेटरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है।

इसी कारण से बीसीसीआई सेंटर अक्सर अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपने लक्ष्य के रूप में रखता है। नए ट्रैक और मैट एरिया, हाई‑टेक फिजियोथेरेपी रूम, और AI‑सहायता वाली बॉल‑ट्रैकिंग सिस्टम ने प्रशिक्षण को सुपर‑आधुनिक बना दिया है। इससे उभरते खिलाड़ी जल्द ही राष्ट्रीय टीम की चयन प्रक्रिया में भरोसेमंद विकल्प बनते हैं।

आधुनिक खेल सुविधाएँ – तकनीक और विज्ञान का संगम

बीसीसीआई सेंटर में उपलब्ध खेल सुविधाएँ, स्मार्ट ग्राउंड, फिटनेस सेंटर, रेहैबिलिटेशन लैब और लैबोरेटरी पारंपरिक प्रशिक्षण को डिजिटल युग से जोड़ती हैं। प्रत्येक ग्राउंड पर सेंसर लगे होते हैं जो बॉल की गति, स्पिन और एंगल को 0.01 सेकंड तक सटीकता से मापते हैं। कोच इन डेटा का उपयोग कर खिलाड़ी की तकनीकी कमजोरियों को जल्दी पहचानते हैं और सुधारात्मक उपाय तय करते हैं। फिजियोथेरेपी रूम में 3D‑स्कैनिंग और रेहैबिलिटेशन रोबोटिक इकाइयाँ चोटों के पुनर्वास को तेज करती हैं, जिससे खेल में वापसी की अवधि घटती है।

इन सुविधाओं का लाभ केवल शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों को नहीं, बल्कि अंडर‑15 अकादमी को भी मिलता है। इससे शुरुआती उम्र में ही वैज्ञानिक प्रशिक्षण का अनुभव मिल जाता है और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ़ जाती है। बीसीसीआई की ये निवेश नीति इस बात को दर्शाती है कि वह दीर्घकालिक खेल विकास को प्राथमिकता देता है।

सेंटर के प्रबंधक लगातार नई तकनीकों को अपनाने के लिए खुले रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में VR‑बेस्ड सिमुलेशन ने फील्डिंग ड्रिल्स को इंटरैक्टिव बनाया है, जिससे खिलाड़ियों को मैच‑सिंट्रिक परिस्थितियों में रिफ्लेक्स बढ़ाने का मौका मिलता है। यह कदम बीसीसीआई के डिजिटलीकरण के लक्ष्य को रिफ्लेक्ट करता है, जहाँ हर प्रक्रिया को डेटा‑ड्रिवन बनाया जा रहा है।

इन सभी पहलुओं को मिलाकर बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस न केवल एक प्रशिक्षण स्थल है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य को आकार देने वाला एक इकोसिस्टम है। नीचे दिए गए लेखों में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न पहलें – प्रशासनिक निर्णय, खिलाड़ी प्रदर्शन और तकनीकी नवाचार – इस केंद्र के प्रभाव को बढ़ा रही हैं, और क्या‑क्या नई खबरें इस मौके को और उजागर करती हैं। अब चलिए इस संग्रह में डुबकी लगाते हैं और जानते हैं कि बीसीसीआई सेंटर ने हालिया समाचारों में क्या रोशनी डाली।

रिशभ पंत फिर से ट्रेनिंग में: फुट फ्रैक्चर से उबरते हुए बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वापसी

रिशभ पंत फिर से ट्रेनिंग में: फुट फ्रैक्चर से उबरते हुए बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में वापसी

रिशभ पंत ने 14 सितंबर को बेंगलुरु के बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में पुनः ट्रेनिंग शुरू की, जिससे उनकी फुट फ्रैक्चर से ठीक होने की प्रक्रिया में बड़ा कदम तय हुआ। अभी भी वे स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग चरण में हैं और विकेटकीपिंग या बैटिंग का कोई काम नहीं कर रहे। इस कारण वे अक्टूबर में शुरू होने वाली वेस्ट इंडीज़ के टेस्ट श्रृंखला से बाहर रहेंगे। भारतीय टीम में ध्रुव जुरेल और नारायण जगदेवान को अस्थायी विकल्प माना जा रहा है। पंत की अगली बड़ी चुनौती नेबर साउथ अफ्रीका के टेस्ट मैच हो सकते हैं।

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