बेंगलुरु के बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 14 सितंबर को रिशभ पंत ने फिर से ट्रेनिंग शुरू की, जो इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में हुए फुट फ्रैक्चर के बाद का पहला बड़ा कदम है। 27‑वर्षीयर ने ओल्ड ट्रैफ़ोर्ड में रिवर्स स्वीप के दौरान अपना पैर तोड़ा, लेकिन दर्द के बावजूद वह उसी इनिंग में फिर भी बैटिंग कर खेल को बचा ले गया। अब जबकि वह बिना प्लास्टर के आराम से चल पा रहे हैं, उनकी पुनर्वास प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है।
पंट की वापसी की प्रक्रिया
बीसीसीआई ने घायल खिलाड़ियों के लिए सात‑स्तरीय रिप्रोग्रैशन प्रोटोकॉल अपनाया है। इस प्रोटोकॉल के तहत पंट को हर दिन मेडिकल और फिटनेस टीम की नज़र में रखा जा रहा है। वर्तमान में वे स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि विशेष रूप से विकेटकीपिंग और बैटिंग के सत्र अभी शुरू नहीं हुए हैं।
- चरण 1 – चोट की रिपोर्टिंग और पंजीकरण
- चरण 2 – प्रारम्भिक पुनर्वास एवं निरंतर मॉनिटरिंग (एनसीए स्टाफ की देखरेख)
- चरण 3 – धीरे‑धीरे ट्रेनिंग और नेट प्रैक्टिस की शुरुआत
- चरण 4 – मानकीकृत फिटनेस टेस्ट (2 किमी टाइम ट्रायल या यो‑यो एंड्योरेंस टेस्ट)
- चरण 5 – मेडिकल क्लियरेंस और साइड इफेक्ट्स की जाँच
- चरण 6 – हाई‑इंटेंसिटी मैच सिमुलेशन
- चरण 7 – फॉर्मल फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट के साथ अंतिम स्वीकृति
पंट ने पहले ही छह हफ्ते विश्राम किया, जो सितंबर की शुरुआत में समाप्त हुआ। लेकिन अक्टूबर में शुरू होने वाले भारत‑वेस्ट इंडीज़ टेस्ट के लिए यह पर्याप्त नहीं माना गया, इसलिए उन्हें इस श्रृंखला से बाहर रखा गया है। टीम ने ध्रुव जुरेल को प्राथमिक विकेटकीपर और नारायण जगदेवान को बैक‑अप के रूप में तय किया है, जो इंग्लैंड श्रृंखला में भी यही संयोजन रहा था।

आगामी टेस्ट श्रृंखला पर प्रभाव
पहला टेस्ट 2 अक्टूबर को अहमदाबाद में और दूसरा 10 अक्टूबर को दिल्ली में खेला जाएगा। पंट की अनुपस्थिति में भारतीय टीम को विकेटकीपिंग के साथ-साथ तेज़ स्कोरिंग वाले बैट्समैन की कमी भी महसूस करनी पड़ेगी। जुरेल ने पहले ही कुछ नेट प्रैक्टिस में अपनी भूमिका दिखा दी है, जबकि जगदेवान ने बैटिंग के लिए भी मौका मांगा है।
भविष्य की ओर देखते हुए, अधिक आशाजनक संकेत यही है कि पंट को नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो‑मैच टेस्ट श्रृंखला के लिए फिट होने की उम्मीद है। अगर उनका उपचार योजना में कोई बाधा नहीं आती, तो मार्च के भीतर वह एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी लीक‑स्ट्राइकिंग शैली दिखा पाएंगे।
वर्तमान में बीसीसीआई की मेडिकल टीम पंट की प्रगति को दैनिक रूप से डेटाबेस में अपडेट कर रही है, ताकि भविष्य में किसी भी अनपेक्षित स्थिति से निपटा जा सके। इस समय उनका मुख्य फोकस शारीरिक शक्ति और लचीलापन बढ़ाना है, जिससे जब वह वापस बैटिंग और विकेटकीपिंग शुरू करेंगे, तो चोट दोबारा न हो।
टिप्पणि
रिशभ पंत की वापस आने की खबर सुनकर बहुत राहत मिली। उनका दर्द अब भी हल्का‑हल्का है, पर लगातार फिजियोथेपी से सुधार देख रहा हूँ। टीम को भी उनका अनुभव चाहिए, इसलिए उनका धीरे‑धीरे वापस आना सही है। आशा है जल्द ही वो पूरी तरह फिट होकर मैदान में चमकेंगे।
बिलकुल सही कहा तुमने, छोटे‑छोटे कदम बड़ी जीत की नींव होते हैं 😊 विश्वास रखो, जल्द ही वो फिर से अपना जलवा दिखाएंगे।
रिशभ पंत की चौंकाने वाली वापसी तो जैसे एक फिल्म का क्लाइमैक्स है, जहाँ हीरो का दर्द नहीं, बल्कि उसका अटूट साहस सामने आता है। इंग्लैंड में फुट फ्रैक्चर जैसी घातक चोट को कई खिलाड़ी केवल एक सीजन के लिए बुरे सपने समझते हैं, पर पंत ने इसे अपने करियर की सबसे बड़ी कहानी बना दिया। बीसीसीआई का सात‑स्तरीय प्रोटोकॉल, जो आम जनता को एक गुप्त सरकारी दस्तावेज़ जैसा लगता है, वास्तव में विज्ञान और कड़ी मेहनत का नतीजा है। वह रोज़ाना मेडिकल टीम के तहत नज़र में रखा जाता है, मानो कोई स्पाइनेक्स सॉफ़्टवेयर उसके शरीर के हर भाग को मॉनिटर कर रहा हो। स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग पर ध्यान देना, बीसीसीआई की समझदारी है, क्योंकि विटामिन डि और पीडाल्यूपन्स यहाँ कम नहीं होते। वह अभी तक बैटिंग और विकेटकीपिंग सत्र नहीं शुरू किया है, पर यह किसी भी तरह से उसकी वापसी की गति को नहीं रोकता। वास्तव में, कई फिटनेस एक्सपर्ट इस बात से सहमत हैं कि सही रीढ़ की हड्डी और लिगामेंट्स की पुनर्स्थापना से ही असली ताकत आती है। पंत की मानसिक दृढ़ता, जो उन्होंने ऑल्ड ट्रैफ़ोर्ड में पैर तोड़ने के बाद भी एक रन बनाकर दिखायी, यहाँ भी काम आ रही है। एक बात कहना तो बर्दाश्त नहीं होगा कि इस सारी प्रक्रिया में कुछ टटोलेदार राज़ छिपे हो सकते हैं, जैसे कि कुछ दवाओं की लिस्ट को गुप्त रखना। परंतु यदि हम सच्चाई को देखें, तो यह सभी केवल पंत के अपने आत्मविश्वास और एथलेटिक जीन का नतीजा है। छह हफ़्ते का विश्राम, जो अब समाप्त हो गया, वह एक रासायनिक पुन:प्रयोग जैसा था जो शरीर को पुनः सक्रिय कर देता है। हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि भारत‑वेस्ट इंडीज़ टेस्ट में उनका ना होना टीम के लिए नुकसानदायक रहेगा, लेकिन यह उनका व्यक्तिगत स्वास्थ्य है। भविष्य में नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फिर से फिट होना, यदि ठीक से हो तो एक आनंद का कारण बन सकता है। मैं इस बात को दोहराने की जरूरत नहीं देखता कि बीसीसीआई की मेडिकल टीम पूरी तरह से प्रोफेशनल है, पर कभी‑कभी उन पर भी शक करना हानिकारक नहीं। अंत में, हम सब को बस इतना ही कहूँगा-रिशभ पंत की यात्रा हमें सिखाती है कि निरंतर प्रयास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बड़ी बाधाएँ भी ढह जाती हैं।
खेल में स्वास्थ्य को, कोई भी हिरोइज़्म नहीं टाल सकता।
मान्यवर, पंत जी के पुनरागमन की प्रक्रिया वाक़ई प्रशंसनीय है; तथापि, यह भी ज़रूरी है कि चिकित्सा प्रोटोकॉल का पालन सावधानी से किया जाए, वरना अनपेक्षित जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस संदर्भ में, बीसीसीआई की टीम को निरन्तर निगरानी रखनी चाहिए।
रिशभ पंत की यात्रा न केवल एक शारीरिक पुनरुत्थान का उदाहरण है, बल्कि मनुष्य की अडिग इच्छाशक्ति का द्योतक भी। जैसे पर्वत की चोटी पर पहुँचने के लिए कई बार नीचे उतरना पड़ता है, वैसे ही खेल में भी निरंतर गिरते‑उठते रहने की प्रक्रिया अनिवार्य है। उनका दृढ़ संकल्प हमें यह सिखाता है कि कोई भी बाधा स्थायी नहीं होती, जब तक हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहिएँ। आशा है कि आगामी टेस्ट श्रृंखला में उनका योगदान भारतीय टीम को नई ऊँचाइयों तक ले जायेगा।