फेडरल रिजर्व की रेट कटौती और अमेरिकी बाजारों की प्रतिक्रिया
मार्केट्स ने इस सप्ताह एक स्थिर शुरुआत की, लेकिन इसके पीछे कई कारण थे। सबसे प्रमुख, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती। हालांकि, यह कटौती बाजार के लिए बहुत आश्चर्यचकित करने वाली नहीं थी, क्योंकि फेडरल रिजर्व की इसी दिशा में फैसले की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी। यह फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया गया, क्योंकि फेड के दो सदस्य इस कटौती के खिलाफ थे। उन सदस्यों का मानना था कि वर्तमान मौद्रिक नीति पर्याप्त थी और इसे बदलने की आवश्यकता नहीं थी। फेडरल रिजर्व का यह निर्णय अमेरिकन इकोनॉमी के दीर्घकालिक विकास को समर्थन देने के लिए लिया गया है, जो अब अपने 11वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और यह इतिहास की सबसे लंबी चलने वाली आर्थिक विस्तार है।
सकारात्मक माहौल में ट्रम्प की जीत
डोनाल्ड ट्रम्प की एक कानूनी लड़ाई में जीत ने भी अमेरिकी बाजारों में सकारात्मकता को बढ़ावा दिया। यह जीत उन्होंने उस मामले में प्राप्त की जिसमें उन्हें एक वयस्क फिल्म अभिनेत्री के खिलाफ एक मानहानि मामले में सफलता मिली। ट्रम्प की इस जीत से अमेरिकी निवेशकों में विश्वास बढ़ा और बाजारों में हलचल कम हुई।
भारतीय बाजार पर वैश्विक निर्देशकों का प्रभाव
भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले स्थिर रहकर दिन की शुरुआत कर रहा है, जिसने दर्शाया कि वैश्विक बाजार के संकेतों में अधिक उछाल नहीं है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज जैसे बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी 50 ने भी थोड़ा सा लाभ करते हुए दिन की शुरुआत की, जो कि निवेशकों की सतर्कता का प्रतीक है।
इस स्थिरता का कारण अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में मामूली वृद्धि और डॉलर का मजबूत होना था। ये दोनों ही संकेत दर्शाते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अपनी गति बनाए रखी है। इसका असर भारतीय बाजार पर सीधे पड़ा, क्योंकि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में स्थिरता ने भारतीय 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड को भी स्थिर बनाए रखा।
आगे की राह: अनिश्चितता का माहौल
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जहां कई आर्थिक और राजनीतिक मुद्दे बाकी हैं, बाजारों में अस्थिरता का डर हमेशा बना रहता है। अमेरिकी-चीन व्यापार समझौता जैसे मुद्दे अभी भी अनिश्चितता के साये में हैं और उनमें कोई भी बड़ा परिवर्तन बाजारों की दिशा बदल सकता है। इसके अलावा, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों की भू-राजनीतिक स्थिति भी बाजार को प्रभावित कर सकती है।
इन सबके बावजूद, भारतीय बाजार अपनी आंतरिक जड़ों के आधार पर कई मायने में स्थिरता बनाए रखने में सक्षम हैं। घरेलू कंपनियों की बेहतर आय, विदेशी निवेश की आमद, और सरकार की दृष्टिवाली नीतियां बाजार के दीर्घकालिक प्रदर्शन को समर्थन दे सकती हैं।
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