ट्रंप के टैरिफ घोषणा से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स और निफ्टी में हड़कंप

2 अप्रैल 2025 को भारत के शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रमुख व्यापारिक भागीदारों पर नए टैरिफ की घोषणा के बाद सेंसेक्स जैसे महत्वपूर्ण सूचकांक ने भारी गिरावट दर्ज की। एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स में 1400 अंकों से अधिक की गिरावट हुई, जबकि एनएसई निफ्टी50 ने 23,245 के स्तर तक गिरावट देखी। पिछले कुछ दिनों की तेजी के बाद यह एक बड़ा उलटफेर था।

मुख्य घटनाक्रम

यह गिरावट वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के कारण आई, जिसमें नई टैरिफों के चलते संभावित प्रतिकारी कदमों, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, और मुद्रास्फीति के दबाव शामिल थे। इन टैरिफों में यूरोपीय संघ के आयात पर 20%, जापान पर 26% और चीन पर 34% की दर शामिल है।

बाजार की प्रतिक्रिया: सेंसेक्स ने 74,860 के नजदीकी समर्थन स्तर को छुआ, जिसे तकनीकी विश्लेषकों ने महत्वपूर्ण बताया। वहीँ, निफ्टी50 के लिए समर्थन क्षेत्र 23,000-22,800 था।

क्षेत्रीय प्रभाव: निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों, आईटी, फार्मा, और ऑटोमोटिव शेयरों में गिरावट देखी गई। खुदरा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला वाले टैक कंपनियों को भारी नुकसान हुआ।

निवेशक रणनीतियाँ: विशेषज्ञों ने घरेलू क्षेत्रों पर ध्यान देने की सलाह दी है और प्रमुख समर्थन स्तरों पर बुलिश रणनीतियाँ अपनाने की सिफारिश की है। विशेषतः करूर वैश्य बैंक और पीटीसी इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह है, जबकि आईटी और फार्मा से दूरी बनाई रखने को कहा गया।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

अमेरिकी बाजारों में भारी कमी दर्ज हुई, विशेषतः डॉव फ्यूचर्स में 3% की गिरावट। एप्पल 7% घटकर और अमेज़न 6% गिर गया, जबकि बिटकॉइन 0.7% घटकर $83000 पर पहुँचा।

एशियाई बाजारों में भी असर पड़ा, जापान का निक्केई 2.4% और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2.9% गिरा।

विशेषज्ञों की राय: एसएसजे फाइनेंस के प्रियंक उपाध्याय ने निफ्टी के समर्थन क्षेत्र को विकल्प रणनीतियों के माध्यम से बनाए रखने की बात कही। जबकि बोनांजा ग्रुप के कुणाल कम्बले का कहना था कि यदि सेंसेक्स 74,860 के नीचे गिरता है तो यह 73,600 तक गिर सकता है।

यह उथल-पुथल आर्थिक संकेतकों और भू-राजनीतिक घटनाओं की पृष्ठभूमि में निवेशकों को जोखिम प्रबंधन और क्षेत्रीय विविधीकरण के प्रति सतर्क करती है।

Ravi Kant

Ravi Kant

लेखक

मैं एक समाचार संपादक हूँ और दैनिक समाचार पत्र के लिए लिखता हूं। मेरा समर्पण जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति है। मैं अक्सर भारतीय दैनिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करता हूं ताकि पाठकों को अद्यतित रख सकूं।

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टिप्पणि

  • Aryan Pawar
    Aryan Pawar अप्रैल 3, 2025

    चलो इस झटके को लेकर लड़खड़ाए नहीं, बाजार में उतार-चढ़ाव तो हमेशा रहता है। दृढ़ रहो और दीर्घकालिक लक्ष्य को याद रखो।

  • Shritam Mohanty
    Shritam Mohanty अप्रैल 3, 2025

    ट्रम्प का टैरिफ एक बड़ा ख़ेल है, असली मकसद अमेरिकी कंपनियों को फिर से बंधक बनाना है। यह वैश्विक आर्थिक पतन की तैयारी है, जो हमें सुनियोजित रूप से मार देगा। यहाँ कोई भी निजी हित नहीं, सिर्फ घातक एजेंडा है।

  • Anuj Panchal
    Anuj Panchal अप्रैल 4, 2025

    वर्तमान बाजार गति को देखते हुए, हम फैक्टर्स जैसे ट्रेंडलाइन ब्रेकडाउन और वॉल्यूम डाइवर्जेन्स को विश्लेषण में शामिल कर सकते हैं। सेंट्रल बैंकों की मौद्रिक नीति में बदलाव को ध्यान में रखते हुए, पोर्टफोलियो में हेजिंग स्ट्रेटेजी अपनाना जरूरी है। इनडेक्स की सपोर्ट रेज़िलिएंस को वैलिडेट करने हेतु मल्टी-टाइम फ्रेम टेपररी एनोमलीज़ देखनी चाहिए।

  • Prakashchander Bhatt
    Prakashchander Bhatt अप्रैल 4, 2025

    हॉलिंग एक्टिविटी में थोड़ा सा डिप्रेसन है परन्तु दीर्घकालिक ग्रोथ अभी भी संभावित है। घरेलू सेगमेंट में एंट्री लेवल स्टॉक्स को देखना चाहिए। निचले सपोर्ट पर बाय करने से कई गुना रिटर्न मिल सकता है।

  • Abhijit Pimpale
    Abhijit Pimpale अप्रैल 4, 2025

    आपके तर्क में तथ्यात्मक आधार का अभाव है। टैरिफ का प्रभाव अनुमानित है परन्तु इसका निहित उद्देश्य ऐसी साजिश नहीं है।

  • Vinay Upadhyay
    Vinay Upadhyay अप्रैल 4, 2025

    हँसी नहीं आती कि बड़े नेता धड़ांसे में बाजार को झटका दे रहे हैं, फिर भी ट्रेडर्स को यही कॉकटेल पसंद है। इतना ही नहीं, बिटकॉइन भी $83000 पर गिर गया, जैसे कोई आफ्टर पार्टी। बाजार की ये रैम्पेज़ वास्तव में जीवंतता दिखाती है।

  • pradeep kumar
    pradeep kumar अप्रैल 4, 2025

    व्यापारी की इस डरावनी नज़रिए से कुछ नहीं बदलता। केवल रियल डेटा से ही रणनीति बनानी चाहिए।

  • Mala Strahle
    Mala Strahle अप्रैल 4, 2025

    बाजार का यह अस्थिर प्रवाह हमें अंतर्निहित परिवर्तन की ओर इशारा करता है। जब एक राष्ट्र के व्यापारिक निर्णय विश्व स्तर पर तरंगें उत्पन्न करते हैं, तो स्थानीय निवेशक को आत्मनिरीक्षण करना आवश्यक हो जाता है। यह समझना कि आर्थिक गति केवल संख्याओं में नहीं, बल्कि सामाजिक मनोभाव में भी निहित है, बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक गिरावट एक अवसर के रूप में देखी जा सकती है, यदि हम अपनी रणनीति को लचीलापन प्रदान करें। निर्यात-निर्भर क्षेत्रों में उलटफेर झलकता है, परन्तु यह एक नया पुनर्जन्म का संकेत भी हो सकता है। इस दौर में भावनात्मक प्रतिक्रियाएं निवेशक को नुकसान पहुँचा सकती हैं, इसलिए आत्मसंयम की आवश्यकता है। समर्थन स्तरों को तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से सत्यापित करने से जोखिम कम होता है। साथ ही, विविधीकरण की नीति को अपनाते हुए विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करना चाहिए। भारतीय शेयर बाजार की ऐतिहासिक प्रतिरोध शक्ति को याद रखें; यह कई बार शॉक को अवशोषित कर चुका है। लेकिन यह शक्ति तब तक टिकेगी जब तक हम शॉर्ट-टर्म हाइप से हटकर दीर्घकालिक मूल्य पर ध्यान दें। नीति निर्माताओं की इस वैश्विक अस्थिरता का सामना करने की योजना को भी निकटता से देखना चाहिए। टैरिफ की घोषणा, चाहे वह न्यायसंगत हो या नहीं, आर्थिक समीकरण में एक नया पैरामीटर जोड़ती है। इसलिए, पोर्टफोलियो को रेगुलर रीबैलेंस करके जोखिम को प्रबंधित करना चाहिए। निवेशकों को अनावश्यक लेवरेज से बचना चाहिए, क्योंकि बाजार में अचानक गिरावट उनके लिए विनाशकारी हो सकता है। इस विद्युत् गति में, शांति और स्पष्टता को अपना मार्गदर्शक बनाना चाहिए। अंत में, यह याद रखें कि हर गिरावट के बाद, यदि हम सही सिद्धांतों पर अडिग रहें, तो प्रगति का मार्ग फिर से स्पष्ट हो जाएगा।

  • Divyaa Patel
    Divyaa Patel अप्रैल 4, 2025

    सिर्फ़ एक ज्वाला है जो मंदी के अंधेरे को जलाती है, लेकिन जब वो बुझ जाती है, तो बाकी सब बिखर जाता है। इस आर्थिक सिम्फनी में हर नोट का अपना महत्व है, और टैरिफ इस संगीत को असंगत बना रहा है। फिर भी, हम वहन कर सकते हैं, क्योंकि असली ताकत भीतर से आती है। चलो, इस रंगीन कँडों को चुनौती मानें और आगे बढ़ें।

  • MONA RAMIDI
    MONA RAMIDI अप्रैल 4, 2025

    आँखों में आँसू, दिल में तूफ़ान, बाजार की धड़कन अब बुरी तरह टूट गई।

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