भारी बारिश से उत्तर प्रदेश में 18 मौतें, चितरकोट में सबसे अधिक हताहत

भारी बारिश ने उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया, 18 जुलाई 2025 को रात 8 बजे तक बीते 24 घंटे में 18 लोगों की जान ले ली गई। मौतें डूबने और साँप काटने जैसे प्राकृतिक कारणों से हुईं, और नुकसान घर‑घर तक बीना। इस आपदा ने स्कूलों को बंद करने, सड़कों को पानी में डूबा देने और वारणासी व प्रयागराज जैसे बड़े शहरों को बाढ़ का सामना करने पर मजबूर कर दिया।

घटनाओं का विस्तार

राज्य भर में लगातार तेज़ बौछारें आईं, जिससे जलस्तर अचानक बढ़ गया। सरकारी आँकड़े बताते हैं कि इस 24‑घंटे की अवधि में कुल 18 मृत्यु हुई – 8 डूबने से, 2 साँप के ज़हर से और शेष 8 विभिन्न कारणों से, जैसे फिसलन भरी सड़कों पर गिरना।

प्रमुख जिलों में हताहत

सबसे ज़्यादा मृतकों की संख्या चितरकोट में हुई, जहाँ अकेले छह लोगों की मौत दर्ज हुई। इसके बाद महोबा, बांदा और मरादाबाद में तीन‑तीन मौतें आईं। ग़ाज़ीपुर, लालितपुर और गोंडा में क्रमशः एक‑एक मौत दर्ज हुई।

  • चितरकोट – 6 मौतें (डूबना + साँप काटना)
  • महोबा – 3 मौतें (डूबना)
  • बांदा – 3 मौतें (डूबना)
  • मरादाबाद – 3 मौतें (डूबना)
  • ग़ाज़ीपुर – 1 मौत (डूबना)
  • लालितपुर – 1 मौत (डूबना)
  • गोंडा – 1 मौत (डूबना)

डूबने की घटनाओं में चितरकोट में 17‑18 जुलाई को दो‑दो लोग, मरादाबाद में 17 जुलाई को तीन लोग और ग़ाज़ीपुर में 18 जुलाई को एक व्यक्ति डूब गया। ये सब बाढ़‑ग्रस्त नदियों के किनारे, अस्थायी पुलों के नीचे या अनफ़िल्टरेड जल से घिरे घरों में हुआ।

विद्यालयों पर प्रभाव

राज्य के शिक्षा विभाग ने सुरक्षा को देखते हुए कई जिलों में स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। अधिकारी बताते हैं, ‘जलभराव और नालों के ओवरफ़्लो के कारण पढ़ाई‑लेखन में बाधा आ रही है, इसलिए हम तत्काल बंदी का आदेश दे रहे हैं’। बंदी के कारण लाखों छात्र‑छात्राओं को घर पर ही रहना पड़ रहा है, जबकि कई स्कूलों के सामने की राहें आधी‑आधूर पानी में डूबी हैं।

बड़े शहरों में बाढ़ की स्थिति

बड़े शहरों में बाढ़ की स्थिति

बाढ़ के शीघ्र विस्तार ने दो प्रमुख नगरीय क्षेत्रों को भी घेर लिया। वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में जल स्तर इतना बढ़ गया कि पर्यटन पैकेजों को रद्द करना पड़ा। ब्रह्मपुत्र के किनारे की सड़कों पर गाड़ी चलाना अब एक जोखिम भरा काम बन गया है। इसी तरह, प्रयागराज में भी कई बस्तियों में पानी प्रवेश कर रहा है, जिससे निवासी अस्थायी शरणस्थली में जा रहे हैं।

स्थानीय राजनैतिक नेता राजेश पंडित (मुख्य सचिव, जल आपदा प्रबंधन) ने कहा, ‘हमने आपातकालीन रेस्क्यू टीमों को तैनात कर दिया है, लेकिन बारिश की तीव्रता के कारण कार्य कठिन हो रहा है।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगले 48 घंटों में अतिरिक्त फॉसिल टैंकर और एंबुलेंसों को भेजा जाएगा।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और आगे की तैयारी

राज्य सरकार ने पहले ही आपातकालीन प्रबंधन योजना को सक्रिय कर दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ मेट्रोलॉजी ने चेतावनी जारी की है कि अगले दो‑तीन दिनों तक बारिश का झोंका जारी रह सकता है। साथ ही, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) ने स्थानीय निकायों को सूचित किया कि जल निकासी के लिये अतिरिक्त पंप लगाए जाएँ और रूटीन सप्लाई चैन को सुरक्षित किया जाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसमी अनियमितताओं को लेकर दीर्घकालिक उपाय नहीं किए गये तो इस तरह की मार्मिक जल आपदाएँ भविष्य में बढ़ सकती हैं। जल संसाधन विशेषज्ञ डॉ. प्रीति सिंह (इंस्टिट्यूट ऑफ जल विज्ञान, लखनऊ) ने कहा, ‘बढ़ते तापमान और अनियमित मानसून के कारण जल‑संकट दोहराने की संभावना अधिक है; इसे रोकने के लिये जल‑संचयन, सूखे‑से‑बाढ़‑प्रबंधन जैसी नीतियों को अपनाना जरूरी है।’

Frequently Asked Questions

क्या इस बाढ़ से किसानों को नुकसान हुआ?

हाँ, कई किसान की फसलें पानी में डूबी हैं, विशेषकर वाराणसी के आसपास के धान के खेत। अनुमानित नुकसान लगभग 150 करोड़ रुपये का बताया गया है। यह नुकसान अगले मौसम में खाद्य कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है।

किसानों और ग्रामीणों के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

सरकार ने तुरंत आपातकालीन खाद्य सामग्री और आपूर्ति किटें वितरित करने का आदेश दिया है। साथ ही, बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में फसल बीमा का दावा करने की प्रक्रिया को तेज़ किया गया है।

स्कूल बंदी कब तक जारी रहेगी?

प्रति ज़िला स्थित जलस्तर के हिसाब से शिक्षा विभाग ने तय किया है कि जब तक जल निकासी नहीं हो जाती और सड़कें सुरक्षित नहीं हो जातीं, तब तक स्कूल बंद रहेंगे। अपेक्षित reopening date 22 जुलाई के आसपास बताई गई है।

भविष्य में ऐसी बाढ़ से बचने के लिए क्या किया जा रहा है?

राज्य ने जल‑संचयन तालाब, नदी‑बांध और सुदृढ़ नालाबंदी परियोजनाओं को तेज़ी से लागू करने का वादा किया है। साथ ही, मौसम विज्ञान विभाग नई रिमोट‑सेंसिंग तकनीक से पूर्व चेतावनी जारी करने की क्षमता बढ़ा रहा है।

Ravi Kant

Ravi Kant

लेखक

मैं एक समाचार संपादक हूँ और दैनिक समाचार पत्र के लिए लिखता हूं। मेरा समर्पण जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति है। मैं अक्सर भारतीय दैनिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करता हूं ताकि पाठकों को अद्यतित रख सकूं।

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टिप्पणि

  • Amol Rane
    Amol Rane सितंबर 28, 2025

    उल्लेखनीय रूप से, प्रशासनिक पहलें स्थिर दिखती हैं।

  • Venkatesh nayak
    Venkatesh nayak अक्तूबर 15, 2025

    वर्तमान आपातकालीन प्रबंधन योजनाओं को सक्रिय करने का मात्र शब्दात्मक पहलू ही नहीं, बल्कि उनकी क्रियान्वयन क्षमता पर भी विचार आवश्यक है। वास्तविकता यह है कि कई जिलों में जल निकासी की व्यवस्था अपर्याप्त है, जिससे पुनः बाढ़ की संभावना बढ़ती है। इस संदर्भ में, नीतिगत दिशानिर्देशों का स्पष्ट एवं समयबद्ध कार्यान्वयन आवश्यक है :)। अन्ततः, जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देना ही उचित प्रशासनिक उत्तरदायित्व है।

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