दिसंबर 14, 2025 को रात 9:36 बजे, सिडनी के बॉन्डी बीच पर आयोजित हनुक्का के त्योहार के दौरान एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें कम से कम 12 लोग मारे गए और 29 से अधिक घायल हुए। यह हमला चबाद ऑफ बॉन्डी द्वारा आयोजित एक भीड़ भरे समारोह का लक्ष्य था, जहां लगभग 2,000 लोग इकट्ठे हुए थे। दो आतंकवादियों ने कैम्पबेल पैरेड के पास बंदूकें चलाईं, जिससे भीड़ में अचानक आतंक फैल गया। क्रिस मिन्स, न्यू साउथ वेल्स के प्रधान मंत्री, ने स्पष्ट किया कि यह एक आतंकी हमला है और इसकी जांच के लिए सेक्शन 5 और 6 के तहत विशेष शक्तियां दी गई हैं।
हमले का विस्तृत चित्र
हमले के दौरान दोनों हमलावर ब्लैक कपड़े पहने हुए थे और एक पुल पर खड़े थे। पुलिस ने उनके साथ गोलीबारी की, जिसमें एक हमलावर मौके पर ही मारा गया और दूसरा गंभीर रूप से घायल होकर गिरफ्तार किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि उनमें से एक व्यक्ति चबाद ऑफ बॉन्डी के सहायक रब्बी थे, जिन्हें अपने ही समुदाय के लिए अपनी जान देनी पड़ी। पुलिस ने एक शूटर की कार से एक संदिग्ध आईईडी (अप्रचलित विस्फोटक उपकरण) भी निकाला, जिससे बम निष्क्रियकरण टीम को तुरंत तैनात किया गया।
हमले के बाद ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा जानकारी संगठन (एएसआईओ) ने स्वीकार किया कि एक हमलावर उनके निगरानी वाले व्यक्तियों में से था, लेकिन उसे "तुरंत खतरा" नहीं माना गया था। बॉन्नीरिग में उसके घर पर छापे के दौरान कुछ दस्तावेज और शस्त्र बरामद किए गए। इस बात पर चिंता है कि एक अन्य आतंकवादी अभी भी आजाद हो सकता है — जिसकी जांच अभी जारी है।
प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
इस हमले ने दुनिया भर में जागृति पैदा की। न्यूयॉर्क सिटी पुलिस ने घोषणा की कि वे हनुक्का समारोहों के लिए अतिरिक्त अधिकारी तैनात कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि इस हमले और न्यूयॉर्क के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। वाशिंगटन डीसी और लॉस एंजिल्स में भी सिनागॉग्स के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई। यह एक अजीब लेकिन समझने योग्य प्रतिक्रिया है — जब किसी समुदाय को लक्ष्य बनाया जाता है, तो दुनिया भर के समान समुदाय अपनी भावनाओं को एक साथ महसूस करते हैं।
इजरायल के अधिकारियों ने इस हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की भूमिका की संभावना की ओर इशारा किया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की। यह एक खतरनाक अनुमान है — क्योंकि इससे आतंकवाद के एक नए आयाम की ओर इशारा हो सकता है, जहां वैश्विक राजनीति और स्थानीय हिंसा एक साथ मिल रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में एक काला दिन
यह हमला ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में दूसरा सबसे घातक बंदूक हमला है — सिर्फ 1996 के पोर्ट आर्थर मसूमों के हत्याकांड के बाद। उस समय भी एक व्यक्ति ने एक बड़े समूह को लक्ष्य बनाया था, और उसके बाद देश ने बंदूकों के नियमों को बदल दिया था। आज, 29 साल बाद, एक अलग तरह का हमला हुआ है — न सिर्फ भौतिक, बल्कि धार्मिक और सामाजिक आधार पर। यह न केवल एक हमला है, बल्कि एक संदेश है: "हम आपको डरा रहे हैं, हम आपको अलग कर रहे हैं।"
समुदाय का जवाब: डर या एकता?
बॉन्डी बीच के आसपास के लोग अब भी चौंके हुए हैं। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, "हम यहां आते हैं खुशियां मनाने, न कि डर के साथ भागने।" लेकिन अब उनकी आंखों में एक नई चिंता है। चबाद के सदस्यों ने अगले दिन भी बारहवीं रात के लिए जलती हुई मोमबत्तियां जलाने का फैसला किया — यह निर्णय डर के बजाय जीवन के प्रति अपनी इच्छा का प्रतीक है।
इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा किया है — क्या हम अपने धार्मिक समुदायों के लिए इतना सुरक्षित हैं? और क्या हम उन लोगों को जानते हैं जो हमारे बीच रहते हैं, लेकिन हमारी निगरानी से बाहर हैं?
अगले कदम: जांच और नियम
अधिकारियों का कहना है कि वे एक तीसरे हमलावर की तलाश में हैं। एएसआईओ अपने डेटाबेस को फिर से जांच रहा है — क्या कोई और भी ऐसा व्यक्ति है जिसे "खतरा" नहीं माना गया, लेकिन जो आतंक की योजना बना रहा हो? अगले सप्ताह तक ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा नीति में बदलाव की संभावना है। यह भी संभावित है कि बंदूकों के नियमों को फिर से देखा जाए, खासकर जब आतंकवादी बंदूकें अवैध रूप से उपलब्ध हो रही हों।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस हमले का जुड़ाव भारतीय समुदाय से क्या है?
इस हमले का भारतीय समुदाय से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह एक विशिष्ट यहूदी समुदाय के खिलाफ आतंकवादी हमला था, जिसमें चबाद ऑफ बॉन्डी शामिल था। हालांकि, भारतीय समुदाय भी इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठा रहा है, क्योंकि धार्मिक समुदायों के खिलाफ हिंसा कोई भी समुदाय नहीं छोड़ सकता।
क्या यह हमला पहले भी हुआ था?
ऑस्ट्रेलिया में पहले भी धार्मिक समुदायों के खिलाफ हमले हुए हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर नहीं। 2014 में सिडनी में एक लैंडमार्क होटल में एक आतंकवादी हमला हुआ था, लेकिन वह एक अलग उद्देश्य के साथ था। यह बॉन्डी बीच का हमला पहली बार है जब हनुक्का के दौरान एक धार्मिक समारोह को लक्ष्य बनाया गया है।
इस हमले के बाद क्या बदलाव हो सकते हैं?
अधिकारियों ने सुरक्षा के लिए विशेष शक्तियां जारी कर दी हैं, और एएसआईओ की निगरानी प्रणाली को फिर से जांचा जा रहा है। बंदूकों के नियमों में सख्ती की संभावना है, खासकर अगर यह पता चला कि हमलावरों ने अवैध रूप से बंदूकें प्राप्त की थीं। धार्मिक स्थलों पर निरंतर पुलिस निगरानी की भी बात हो रही है।
हनुक्का क्या है और यह त्योहार क्यों महत्वपूर्ण है?
हनुक्का यहूदी धर्म का एक आठ दिवसीय त्योहार है, जो यरूशलेम के मंदिर के पुनर्निर्माण और एक चमत्कारिक तेल के जलने की याद में मनाया जाता है। इसके दौरान घरों में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं और लोग एकत्र होकर खाना खाते हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक एकता और टिकाऊपन का प्रतीक भी है — इसलिए इसे लक्ष्य बनाना एक गहरा सांस्कृतिक हमला है।
टिप्पणि
ये हमला बस एक आतंकवादी कृत्य नहीं, बल्कि हमारी मानवता के खिलाफ एक सीधा हमला है। हम सब एक ही धरती पर रहते हैं, और किसी भी समुदाय को डराने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी।