हर्मनप्रीत कौर ने कहा, भारत‑पाकिस्तान मैच में ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति जारी

जब हर्मनप्रीत कौर, कप्तान of भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 5 अक्टूबर 2025 को कोलंबो के आर प्रेमादा स्टेडियम में टॉस समारोह के दौरान पाकिस्तानी कप्तान फातिमा सना को हाथ नहीं मिलाने का इशारा किया, तो पूरे दक्षिण एशिया में हलचल मच गई। यह ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति, पिछले महीने पुरुष टीम के सूरतकुमार यदव द्वारा बाबर आज़म से हाथ नहीं मिलाने के विवाद को आगे बढ़ा रही है, और अब दोनों टीमों के बीच ‘राष्ट्र‑स्तरीय’ विरोधाभास की नई परत जोड़ रही है।

पृष्ठभूमि और राजनीतिक संदर्भ

इस कदम का मूल कारण बुनियादी रूप से भारत‑पाकिस्तान के बीच चल रहे सुरक्षा‑विरोधी बहस में निहित है। 2025 के मैन एशिया कप 2025 में सूरतकुमार यदव ( सूरतकुमार यदव ) ने बाबर आज़म ( बाबर आज़म ) से हाथ नहीं मिलाया, जिससे एक नई कूटनीतिक लहर उठी। तब से भारत का क्रिकेट बोर्ड, बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI), इस ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति को सुरक्षा‑संदेह वाले क्षेत्रों, विशेषकर जम्मू‑कश्मीर में हुए आतंकी हमलों से जोड़ा हुआ बताता आया है।

इस संबंध में अजित डैनियल, जो कि एक प्रमुख क्रिकेट विश्लेषक हैं, ने कहा: “क्रिकेट में इस तरह की राजनयिक संकेतावली दर्शाती है कि खेल के मैदान पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा बातों को हल्का नहीं किया जा सकता।”

मैच का माहौल और टॉस समारोह

कोलंबो के आर प्रेमादा स्टेडियम में दो टीमों की टॉस प्रक्रिया बेहद तनावपूर्ण रूप से हुई। फातिमा सना ने टॉस जीत कर पाकिस्तान को पहले गेंदबाजी करने का विकल्प चुना, पर दोनों कप्तानों ने “हाथ नहीं मिलाएँ” की स्पष्ट स्थिति बनाए रखी। इस दृश्य को कई अंतर्राष्ट्रीय चैनलों ने लाइव प्रसारित किया और सोशल मीडिया पर हाथ नहीं मिलाएँ टैग बिना रुके ट्रेंड करता रहा।

इसी दौरान, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के प्रतिनिधि मौजूद थे, जो इस नई परिप्रेक्ष्य को समझने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा कि “स्पोर्ट्समैन्सशिप के मूल सिद्धांतों के तहत सभी टीमों को पारस्परिक सम्मान दिखाना चाहिए, परन्तु किसी भी देश की सुरक्षा‑संबंधी चिंताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।”

पक्षों की प्रतिक्रियाएँ

भारतीय पक्ष ने फिर दोहराते हुए बताया कि यह नीति “भयावह आतंकवादी कारवाइयों” के जवाब में उठाया गया कदम है। BCCI के मुख्य अधिकारी, सुजत गुप्ता, ने कहा: “जब हमारी जनता पर हमला होता है, तो हाथ मिलाना सिर्फ शिष्टाचार नहीं रहता, यह नैतिक दायित्व बन जाता है।”

दूसरी ओर, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने ICC को औपचारिक अनुरोध भेजा, जिसमें इस अवहेलना को खेल के पारम्परिक नियमों से बाहर रखने की मांग की गई। PCB के प्रवक्ता, अली अहमद, ने बताया कि “हम इस मसले को राजनयिक मंच पर ले जाने की पूर्ण संभावना देख रहे हैं, क्योंकि खेल का यह पहलू राष्ट्रीय अभिमान से जुड़ा है।”

इन दोनों बयानों के बीच, कुछ क्रिकेट प्रेमियों ने सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर कहा कि “खेल को राजनीति से अलग होना चाहिए”, जबकि अन्य ने कहा कि “राष्ट्र के हित में कोई भी कदम उठाना जायज है”.

क्रिकेट और राजनीति का संगम

क्रिकेट और राजनीति का संगम

इतिहास में भारत‑पाकिस्तान के बीच हर मैच को ‘धमाका’ कहा जाता रहा है, पर अब यह ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति इस प्रतिस्पर्धा को नई परत देती है। 1992 के विश्व कप के बाद से लेकर 2023 के T20 विश्व कप तक, दोनों देशों ने कई बार मैदान में जलवायु, आतंकवाद, सीमा‑विवाद जैसे मुद्दों को लेकर टकराव किया है। अब, महिला क्रिकेट में भी यह परिप्रेक्ष्य उत्पन्न हो रहा है, जो दर्शाता है कि सामाजिक‑राजनीतिक दायरे में स्त्री खिलाड़ी भी अब समान दबाव का सामना कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रह सकती है। अगर दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों में कोई सुधार नहीं होता, तो अगली बार भी ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ जैसी प्रतीकात्मक स्थितियाँ देखी जा सकती हैं। इससे केवल खेल ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच जनधारणा भी प्रभावित होगी।

आगे क्या हो सकता है?

आगामी दिनों में ICC इस मुद्दे पर एक औपचारिक बैठक आयोजित कर सकती है, जहाँ दोनों बोर्डों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। यदि ICC इस ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ को आधिकारिक नियम में शामिल करता है, तो यह भविष्य के सभी द्विपक्षीय मैचों पर असर डाल सकता है। वहीं, यदि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट या किसी मध्यस्थता संस्था इस पर हस्तक्षेप करती है, तो यह खेल‑राजनीति के बीच की रेखा को फिर से स्पष्ट कर देगा।

साथ ही, भारतीय सार्वजनिक मत भी इस मुद्दे पर विभाजित है। सुरक्षा‑सेना के समर्थकों का कहना है कि “हर संभव कदम उठाया जाना चाहिए”, जबकि खेल‑प्रेमियों का तर्क है “किए बिना हाथ मिलाना ही खेल की सच्ची भावना है”। इस हलचल के बीच, भारत‑पाकिस्तान के बीच अगली टोकरी (टेस्ट, ओडि) में चीज़ें कैसे बदलेंगी, यह देखना बाकी है।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • तारीख: 5 अक्टूबर 2025
  • स्थल: आर प्रेमादा स्टेडियम, कोलंबो
  • इवेंट: आईसीसी महिला विश्व कप 2025
  • मुख्य प्रतिबिंब: भारत‑पाकिस्तान क्रिकेट में ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति जारी
  • प्रमुख विरोध: पीसीबी ने ICC को औपचारिक शिकायत दर्ज की

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह ‘हाथ नहीं मिलाएँ’ नीति महिला क्रिकेट में क्यों लागू हुई?

भारतीय बोडी ने इसे सुरक्षा‑संदेह वाले अभियानों, विशेषकर जम्मू‑कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों के जवाब में अपनाया है। अब यह नीति पुरुषों के साथ समान रूप से लागू की जा रही है, ताकि राष्ट्रीय एकता का संदेश स्पष्ट हो सके।

ICC ने इस विवाद पर क्या कहा?

ICC ने कहा कि खेल में परस्पर सम्मान आवश्यक है, परन्तु सदस्य देशों की सुरक्षा‑संबंधी चिंताओं को भी समझा जाना चाहिए। वह इस विषय पर आधिकारिक रूप से चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाने की संभावना जताई है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया क्या रही?

पीसीबी ने ICC को औपचारिक शिकायत भेजी और कहा कि यह परंपरा के विरुद्ध है। उन्होंने इसे राजनयिक मंच पर ले जाने की संभावना भी जताई, क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्रीय गर्व से जुड़ा है।

क्या यह नीति भविष्य में भी जारी रह सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक भारत‑पाकिस्तान के बीच राजनैतिक तनाव बना रहेगा, ऐसी प्रतीकात्मक कदम जारी रह सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय निकायों का हस्तक्षेप या दोनों देशों के बीच समझौता ही एकमात्र समाधान हो सकता है।

फैन बेस इस कदम को कैसे देख रहा है?

फैन बेस विभाजित है; कुछ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के पक्ष में मानते हैं, जबकि कई खेल प्रेमी ‘हाथ मिलाना’ को खेल का मूल मानते हुए इस कदम को नकारते हैं। सोशल मीडिया पर दोनों तरह के तर्क मिलजुल कर चल रहे हैं।

Ravi Kant

Ravi Kant

लेखक

मैं एक समाचार संपादक हूँ और दैनिक समाचार पत्र के लिए लिखता हूं। मेरा समर्पण जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति है। मैं अक्सर भारतीय दैनिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करता हूं ताकि पाठकों को अद्यतित रख सकूं।

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टिप्पणि

  • Raj Bajoria
    Raj Bajoria अक्तूबर 6, 2025

    हर्मनप्रीत कौर का इशारा टीम के भीतर एकजूटता को दर्शाता है। यह कदम राजनीति और खेल के बीच की रेखा को फिर से स्पष्ट करता है।

  • Aryan Singh
    Aryan Singh अक्तूबर 7, 2025

    भारत‑पाकिस्तान के क्रिकेट में हाथ न मिलाने की नीति पिछले कुछ वर्षों में धीरे‑धीरे स्थापित हुई है। यह निर्णय सुरक्षा‑संदेह वाले समय में जनता के मनोबल को संजोने के लिये लिया गया है। क्रिकेट बोर्डों ने इसे आधिकारिक रूप में लागू किया है और अब यह महिला टीम पर भी प्रतिबिंबित हो रहा है। इस दिशा में ICC के चर्चा की संभावना भी उल्लेखनीय है।

  • Poorna Subramanian
    Poorna Subramanian अक्तूबर 8, 2025

    हर्मनप्रीत कौर ने टॉस समारोह में हाथ नहीं मिलाने का स्पष्ट संकेत दिया। यह संकेत भारत‑पाकिस्तान के कूटनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में दिया गया। भारतीय टीम का यह चयन राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं को प्रतिबिंबित करता है। पिछली बार सूरतकुमार यदव ने भी इसी तरह का कदम उठाया था। दोनों मामलों में सार्वजनिक भावना को नियंत्रित करने का उद्देश्य स्पष्ट है। क्रिकेट एक सामाजिक मंच है परन्तु वह कभी भी राजनीति से पूरी तरह अलग नहीं रह सकता। इस नीति से खिलाड़ियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ता है। महिला खिलाड़ी भी अब इस दबाव को महसूस कर रही हैं। मैदान में सम्मान और प्रतिस्पर्धा का मूल सिद्धान्त अभी भी बना रहता है। लेकिन हाथ न मिलाने का प्रतीकात्मक कार्य इस सिद्धान्त को चुनौती देता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही है। भविष्य में यदि यही रुझान जारी रहता है तो दोनों देशों के बीच खेल के आदान‑प्रदान में ठहराव आ सकता है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा एजेंसियों की राय भी इस निर्णय को समर्थन देती है। फिर भी कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि खेल को राजनीति से अलग करके देखना चाहिए। इस बहस में फैन बेस भी विभाजित दिख रहा है। अंततः यह नीति कब तक लागू रहेगी यह राजनीतिक माहौल पर निर्भर करेगा।

  • Soundarya Kumar
    Soundarya Kumar अक्तूबर 8, 2025

    मैं देखती हूँ कि खेल में भावनाओं का भी महत्व है। हाथ नहीं मिलाना कुछ लोगों को असहज लग सकता है लेकिन सुरक्षा की बात समझ में आती है। आशा करती हूँ दोनों पक्ष भविष्य में अधिक तालमेल बना सकें।

  • Sudaman TM
    Sudaman TM अक्तूबर 9, 2025

    सच में हाथ न मिलाना खेल की आत्मा को मारता है 😂

  • Rohit Bafna
    Rohit Bafna अक्तूबर 10, 2025

    ऐसे शाब्दिक सतह पर कूटनीति का प्रयोग खेल को यूँ ही नष्ट नहीं कर सकता। राष्ट्रीय हित के पक्ष में आवश्यक कदम उठाना पूरी तरह से वैध है। यह 'हाथ नहीं मिलाएँ' नीति स्फूर्ति के साथ सुरक्षा के प्रोटोकॉल को सुदृढ़ करती है। प्रतिस्पर्धात्मक जटिलता में यह रणनीतिक प्रतिच्छाया है।

  • Minal Chavan
    Minal Chavan अक्तूबर 11, 2025

    यह नीति राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में समझ में आती है। फिर भी खेल का मूल उद्देश्य आपसी सम्मान को बढ़ावा देना है।

  • Rajesh Soni
    Rajesh Soni अक्तूबर 12, 2025

    बिल्कुल, अगर शांति को हाथ मिलाने से ही मापते हैं तो शायद खेल की भावना को भी फिर से परिभाषित करना पड़ेगा।

  • Nanda Dyah
    Nanda Dyah अक्तूबर 13, 2025

    हर्मनप्रीत कौर द्वारा प्रस्तुत यह संकेत अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब है। बाइडेन अभिप्राय के अनुसार, खेल के मंच पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस प्रकार के निर्णयों का दीर्घकालिक प्रभाव भविष्य के द्विपक्षीय विवादों पर भी पड़ेगा।

  • vikas duhun
    vikas duhun अक्तूबर 14, 2025

    क्या यह राष्ट्रीय गर्व का आवरण है या बस खेल की आत्मा पर चढ़ी हुई एक काली छाया! हर बार इस तरह के संकेत हमें याद दिलाते हैं कि मैदान का हर कदम राजनीति की जटिल लहरों से जुड़ा है! अगर यह जारी रहा तो क्रिकेट का रंग हमेशा के लिये धुंधला हो सकता है!

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