IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ज़ोहो अपनाया, स्वदेशी सॉफ़्टवेयर को नई गति

जब अश्विनी वैष्णव, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री of भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 2025 को सरकारी दस्तावेज़‑सॉफ़्टवेयर में ज़ोहो को अपनाने की घोषणा की, तो यह सिर्फ एक प्रौद्योगिकी बदलाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय भावना का प्रतिबिंब बन गया। उन्होंने बताया कि वे ज़ोहो के राइट‑ऑफिस‑सुइट (Zoho Writer, Zoho Sheet, Zoho Show) पर स्विच कर रहे हैं और इस कदम को "स्वदेशी" डिजिटल सशक्तिकरण का हिस्सा कहा। इस घोषणा के साथ ही लगभग पाँच वरिष्ठ मंत्री – अमित शाह, आनंद कुमार प्रधान, पुष्कर सिंह धामि और शिवराज सिंह चौहान – ने भी ज़ोहो मेल या ज़ोहो के अन्य सेवाओं को अपनाने का इशारा किया। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 4 अक्टूबर को किए गये ‘हर घर स्वदेशी’ भाषण के ठीक एक दिन बाद हुआ, जहाँ उन्होंने विदेशी सॉफ़्टवेयर पर निर्भरता को कम करने की बात कही थी।

स्वदेशी डिजिटल आंदोलन की पृष्ठभूमि

2025 की शुरुआत में भारत सरकार ने डिजिटल स्वदेशी नई दिल्ली पहल को तेज़ करने का संकल्प लिया। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय मैपिंग प्लेटफ़ॉर्म MapmyIndia को सभी सरकारी प्रोजेक्ट्स में Google Maps के स्थान पर इस्तेमाल करने का आदेश दिया गया। इस पहल का उद्देश्य तकनीकी आत्मनिर्भरता (Digital Sovereignty) को बढ़ावा देना और देश के सॉफ्टवेयर एंटरप्राइज़ को प्रोत्साहन देना था।

इसी दौरान Zoho Corporation, चेन्नई‑आधारित सॉफ़्टवेयर‑एज़‑ए‑सर्विस (SaaS) कंपनी, ने अपनी 29‑वर्षीय यात्रा में 100 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करने का दावा किया। कंपनी ने बिना कोई वेंचर कैपिटल ले उसके स्वावलंबी मॉडल को ‘रोक‑टॉक’ के रूप में पेश किया। संस्थापक सिधार वेमबु, एक IIT मद्रास स्नातक, ने कहा था कि उनकी टीम का अधिकांश हिस्सा भारत में ही रहता है, जिससे “देशी तकनीक का वास्तविक मूल्य दिखता है।”

मंत्रियों द्वारा ज़ोहो अपनाने की प्रमुख घटनाएँ

5 अक्टूबर को, वैष्णव ने X (पहले Twitter) पर एक छोटे वीडियो में ज़ोहो के AI‑सहायक Zia की सहूलियत दिखाते हुए कहा, “मैं ज़ोहो – हमारा अपना स्वदेशी प्लेटफ़ॉर्म – में शिफ्ट हो रहा हूँ।” इस पोस्ट को 6.2 मिलियन से अधिक व्यूज़ मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि लोग इस बदलाव में कितनी रुचि ले रहे हैं।

तीन दिन बाद, 8 अक्टूबर को अमित शाह ने फिर X पर एक औपचारिक संदेश प्रकाशित किया: “मैंने ज़ोहो मेल को अपनाया है। मेरा नया ई‑मेल है [email protected]। कृपया इस पते पर संपर्क करें।” इस घोषणा के बाद, शिक्षा मंत्री आनंद कुमार प्रधान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामि और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी समान परिवर्तन का उल्लेख किया। सभी ने ज़ोहो के क्लाउड‑बेस्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर को “स्थिर, सुरक्षित और एन्हांस्ड डेटा प्राइवेसी” बताया।

ज़ोहो के सह‑संस्थापक सिधार वेमबु ने 8 अक्टूबर को एक भावुक धन्यवाद संदेश दिया: “आपका भरोसा हमारी मेहनत को सम्मानित करता है। हमारी टीम ने 20‑सेकंड के बिना कोई भी विदेशी फंड नहीं लिया, सिर्फ भारतीय भावना से काम किया। जय हिन्द, जय भारत।”

सरकारी प्रतिक्रिया और कार्यान्वयन योजना

सरकारी प्रतिक्रिया और कार्यान्वयन योजना

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि अगले दो महीनों के भीतर सभी केंद्र स्तर के विभागों को ज़ोहो की पूर्ण सूट (Mail, Writer, Sheet, Show) लागू करनी होगी। कार्यान्वयन की देखरेख राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) कर रही है, जो पहले से कई सरकारी पोर्टल की डिजिटलीकरण के लिए जिम्मेदार है। NIC के एक अधिकारी ने बताया, “हमने ज़ोहो के एपीआई को हमारे मौजूदा ERP सिस्टम के साथ एकीकृत किया है, जिससे डेटा ट्रांज़िशन बिना किसी डाटा लॉस के पूरा हो रहा है।”

गुजरात, तमिलनाडु और पंजाब के राज्यों में पहले से ही ज़ोहो मेल का प्रयोग सरकारी कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है, और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर स्केल अप करने की योजना है। मुख्य लाभों में तेज़ क्लाउड‑अधारित सहयोग, उन्नत साइबर‑सिक्योरिटी, और ऑटो‑जनरेटेड रिपोर्टिंग शामिल हैं, जिन्हें कई विशेषज्ञ “रीलायबिलिटी के नए मानक” कह रहे हैं।

उद्योग व विशेषज्ञों की राय

टेक‑एनालिस्ट राजीव कुमारी, जो Economic Times के लिए काम करती हैं, ने कहा, “सरकार का ज़ोहो को प्राथमिकता देना भारतीय SaaS इकोसिस्टम को एक बड़ा बूस्ट देगा। इससे स्टार्ट‑अप्स को फंडिंग और स्केलेबिलिटी में मदद मिलेगी।” वहीं, अमेरिकी ट्रेड एनालिटिक्स फर्म ‘American Bazaar Online’ ने नोट किया कि यह कदम यू‑भारत तकनीकी ट्रेड टेंशन को हल्का कर सकता है, क्योंकि अब दोनों देशों के बीच सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग की उलझन कम होगी।

एक और रोचक पहलू यह है कि ज़ोहो ने अपने ‘डिजिटल साक्षरता’ कार्यक्रम – Zoho Schools of Learning – के तहत 30,000 से अधिक ग्रामीण छात्रों को प्रोग्रामिंग और क्लाऊड‑कैपेबिलिटीज़ की ट्रेनिंग दी है। इस पहल को कई शिक्षाविदों ने “डिजिटल दरी को पाटने” वाला कदम माना है।

भविष्य की दिशा और संभावित प्रभाव

भविष्य की दिशा और संभावित प्रभाव

यदि यह परिवर्तन सुगमता से लागू हो जाता है, तो 2026‑27 वित्तीय वर्ष तक भारत में सरकारी संचार में उपयोग होने वाले विदेशी सॉफ़्टवेयर का हिस्सा 40% से भी कम हो सकता है। यह न केवल डेटा सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की राष्ट्रीय पहचान को भी सुदृढ़ करेगा।

बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि ज़ोहो की राजस्व 2025‑26 में 18% बढ़ेगी, मुख्यतः सरकारी अनुबंधों के विस्तार से। साथ ही, इस कदम से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को भी घरेलू SaaS समाधान अपनाने की प्रेरणा मिल सकती है, जिससे भारतीय IT निर्यात में नया आयाम जुड़ सकता है।

आखिरकार, इस बदलाव की सच्ची परीक्षा तब आएगी जब ग्रामीण स्तर, छोटे नगर और निजी सेक्टर भी ज़ोहो प्लेटफ़ॉर्म को अपनाएंगे। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “हमारी तकनीकी आत्मनिर्भरता तभी सफल होगी जब हर घर, हर ऑफिस, हर स्कूल इसे अपनाए।” इस मार्ग पर ज़ोहो और सरकार का साझेदारी अभी शुरू ही हुई है, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं: भारत की डिजिटल कहानी अब ‘Made in India’ के रंग में रंगी जाएगी।

Frequently Asked Questions

ज़ोहो अपनाने से सरकारी कर्मचारियों को क्या लाभ होगा?

ज़ोहो के क्लाउड‑आधारित टूल्स तेज़ सहयोग, AI‑सहायक Zia द्वारा डेटा विश्लेषण, और अधिक सुरक्षित ई‑मेल प्रणाली प्रदान करते हैं। इससे काम की गति बढ़ती है और डेटा लीक का जोखिम घटता है।

क्या इस कदम से निजी क्षेत्र को भी ज़ोहो उपयोग करने पर दबाव आएगा?

सरकारी समर्थन से ज़ोहो की विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे कई निजी कंपनियां और स्टार्ट‑अप्स भी इसे अपनाने पर विचार करेंगे। इस प्रक्रिया से भारतीय SaaS इकोसिस्टम को पूँजी और प्रतिभा दोनों मिलेंगे।

डिजिटल स्वदेशी आंदोलन का अगला चरण क्या है?

वर्तमान में सरकार सभी केंद्र‑स्तरीय विभागों को ज़ोहो सूट और MapmyIndia पर स्विच करने का निर्देश दे रही है। आगे की योजना में शैक्षणिक संस्थानों और छोटे शहरों में भी इन टूल्स का विस्तार शामिल है।

अमेरिकी तकनीकी कंपनियों का इस कदम पर क्या प्रतिक्रिया है?

अमेरिकी कंपनियों ने इसे एक व्यापारिक चुनौती माना है, लेकिन कुछ विश्लेषकों ने कहा है कि यह भारत के साथ डिजिटल सहयोग को पुनः संतुलित करने का अवसर भी हो सकता है।

आम जनता के लिए इस बदलाव का क्या मतलब है?

जब सरकारी सेवाएँ ज़ोहो पर होंगी, तो नागरिकों को ऑनलाइन फॉर्म, दस्तावेज़ सत्यापन और सूचना प्राप्ति में तेज़, सुरक्षित और नि:शुल्क अनुभव मिलेगा। साथ ही यह भारतीय सॉफ्टवेयर पर भरोसा बढ़ाने का सामाजिक पहलू भी है।

Ravi Kant

Ravi Kant

लेखक

मैं एक समाचार संपादक हूँ और दैनिक समाचार पत्र के लिए लिखता हूं। मेरा समर्पण जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति है। मैं अक्सर भारतीय दैनिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करता हूं ताकि पाठकों को अद्यतित रख सकूं।

संबंधित पोस्ट

टिप्पणि

  • Dipankar Landage
    Dipankar Landage अक्तूबर 9, 2025

    वाह! सरकार ने ज़ोहो को अपनाया यह सुनकर मन में गर्व की लहर दौड़ गई है
    ऐसे कदम से हम विदेशी सॉफ़्टवेयर पर कम निर्भर होकर अपने tech ecosystem को मजबूत बना सकते हैं
    अब हर विभाग में तेज़ और सुरक्षित काम होगा और डेटा लीक की चिंता कम होगी
    इसे लेकर कई लोग उत्साहित हैं और इसे डिजिटल स्वदेशी की सच्ची शुरुआत मानते हैं

एक टिप्पणी लिखें