लेह, लद्दाख – 24 सितंबर 2025 को लेह शहर के मुख्य मार्गों पर धुआँ गहरा, जब राजनैतिक असंतोष को लेकर उमड़ते समूहों ने भाजपा कार्यालय और कई पुलिस वाहनों को जला दिया। इस हिंसक मुठभेड़ में चार लोगों की जान गयी और लगभग पचास लोग घायल हुए, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल थे। यह अराजकता तब उत्पन्न हुई, जब स्थानीय युवा संघों ने एक बड़े बंदिश के साथ शटडाउन लागू किया, जो 15 दिन तक चले हंगर स्ट्राइक के समर्थन में था।
प्रस्तावित राज्यता आंदोलन का पृष्ठभूमि
लद्दाख में इस तरह के विरोध के मूल कारण 2019 की घटना से जुड़े हैं, जब नई दिल्ली ने अनुच्छेद‑370 को रद्द कर लद्दाख को विशेष स्वायत्त स्थिति से हटा दिया। तब से यहाँ के लोग, विशेषकर बौद्ध‑मुसलमान क्षेत्रों में, निरंतर लेह विरोध के बैनर तले अपनी सांस्कृतिक, भाषाई और रोजगार संबंधी मांगों को लेकर स्वर उठा रहे हैं। मुख्य मांगों में राज्यता की प्राप्ति, स्थानीय युवाओं के लिये 85 % नौकरी आरक्षण, डोमिसिल हेतु 15‑साल का रहिवास, महिला प्रतिनिधित्व के लिये 33 % आरक्षण और पांच आधिकारिक भाषाओं की मान्यता शामिल हैं। यह आंदोलन 2021 में आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ, लेकिन बार‑बार दफ़न हो जाने वाले प्रस्तावों ने इसे फिर से उभारा।
मुख्य प्रेरणा व्यक्तियों में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का नाम प्रमुख है। उन्होंने 10 सितंबर को 15 लोगों के साथ एक हंगर स्ट्राइक शुरू किया, जिसमें वह भी प्रमुख भूमिका में थे। उनका कहना था कि संविधान में लद्दाख के लिये विशेष सुरक्षा प्रावधान होना चाहिए, न कि केवल बिहारराष्ट्रीय नियोजन। दो हंगर स्ट्राइकरों की तबियत बिगड़ने के बाद, 23 सितंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिससे तनाव का स्तर आसमान छू गया।

24 सितंबर की हिंसक मुठभेड़ और उसकी repercussions
शटडाउन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके और जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, तो कुछ समूहों ने तेज़ी से आग बबूला कर दिया। भाजपा कार्यालय की इमारत में लगी आग को बुझाने में कई घंटे लगे, और कई पुलिस वाहन भी धधक गये। इस हिंसा के जवाब में पुलिस ने जरपताके के गोले फेंके और बॅटन चार्ज किया, जिससे कई लोग घायल हुए। घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय चिकित्सालय ने बताया कि प्राथमिक उपचार के बाद भी कई जख्म अधिक गंभीर थे।
अराजकता के मद्देनज़र, लद्दाख प्रशासन ने सेक्शन 163 (भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता) के तहत कर्फ्यू लागू कर दिया। लीह जिले में रात 7 बजे से सभी सार्वजनिक गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गईं, और सड़कों पर केवल अनुमति प्राप्त वाहनों को ही गुजरने दिया गया। उसी दिन आयोजित होने वाला लद्दाख महोत्सव भी रद्द कर दिया गया, क्योंकि सुरक्षा को लेकर चिंताएं बहुत अधिक थीं।
हिंसा के बाद, सोनम वांगचुक ने 15‑दिन के उपवास को समाप्त कर सभी को शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य राजनैतिक दबाव नहीं बल्कि संवाद के माध्यम से लद्दाख के लिये स्थायी समाधान निकालना है। अब केंद्र और लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल के बीच 6 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक कार्यसमिति का आयोजन होने वाला है, जहाँ राज्यता, रोजगार आरक्षण और भाषा मान्यता जैसी प्रमुख मागों पर चर्चा होगी।
एक टिप्पणी लिखें