काठुआ रैली के दौरान खड़गे की तबीयत खराब
29 सितंबर, 2024 को काठुआ, जम्मू और कश्मीर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तबीयत उस समय अचानक बिगड़ गई जब वह एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। खड़गे, जो 83 वर्ष के हैं, को भाषण के दौरान अचानक घुटन महसूस हुई। हालांकि, कुछ ही समय बाद उन्होंने अपना भाषण जारी रखा और इसे पूरा भी किया। चिकित्सकीय जाँच के बाद उनकी स्थिति को स्थिर बताया गया।
भाषण के समय की स्थिति
रैली स्थल पर मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के अनुसार, खड़गे ने अत्यधिक गर्मी और भीड़ के बीच अपने भाषण को लंबे समय तक जारी रखा। भीड़ के बीच, उन्होंने अपने समर्थकों को समझाने के लिए तत्परता दिखाई और अपनी क्षमता अनुसार भाषण को पूरा किया। हालांकि, घुटन के कारण उन्हें थोड़ी देर रोका गया था, लेकिन उनका जोश कम नहीं हुआ।
जम्मू-कश्मीर की राज्यता पर जोर
खड़गे ने अपने भाषण में जम्मू-कश्मीर की राज्यता बहाल करने का वादा किया। उन्होंने कहा, "मैं तब तक जीवित रहूंगा जब तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से नहीं हटा दिया जाएगा"। यह बयान खड़गे ने भीड़ के सामने जोरदार तरीके से दिया, जिससे उनके अडिग संकल्प का पता चला।
आने वाले विधानसभा चुनाव
खड़गे का जम्मू और कश्मीर दौरा आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर है, जिसमें कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक पूर्व-निर्धारित गठबंधन में भाजपा के खिलाफ लड़ रही हैं। मतदान का तीसरा और अंतिम चरण 1 अक्टूबर को निर्धारित किया गया है, जब वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी।
रामनगर में दूसरी रैली
काठुआ के बाद खड़गे का अगला लक्ष्य था रामनगर, जहाँ वह एक और जनसभा को संबोधित करेंगे। रामनगर, जो कि उधमपुर जिले में स्थित है, में खड़गे की उपस्थिति का उद्देश्य कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन जुटाना है।
लोगों की प्रतिक्रिया
खड़गे का साहस और उनके अडिग संकल्प के कारण समर्थकों के बीच उनके प्रति संजीदगी और सम्मान की भावना उत्पन्न हुई। उनके भाषण के दौरान भीड़ उन्हें ध्यान से सुन रही थी और उनकी हर बात पर तालियों की गूंज सुनाई दे रही थी।
खड़गे का यह दौरा कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर तब जब उन्हें भाजपा के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़नी है। उन्होंने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की राज्यता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी।
डॉक्टरों की राय
खड़गे की तबीयत खराब होने के बाद रैली स्थल पर मौजूद डॉक्टरों ने उनका तुरंत इलाज किया और पुष्टि की कि उनकी स्थिति अब स्थिर है। उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है, लेकिन खड़गे ने स्पष्ट किया कि वह अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को जारी रखेंगे और उनकी रैलियों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा।
इतने मुश्किल समय में भी खड़गे ने अपनी दृढ़ता और संयम दिखाया, जिसके चलते वह अपने समर्थकों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं।
टिप्पणि
खड़गे जी की हिम्मत वाकई काबिल‑ए‑तारीफ़ है।
उनकी दृढ़ संकल्प की सराहना करनी चाहिए
भाईसाहब! खड़गे जी को देखो, इस तरह की लड़ाई नहीं देखी! मोदी को हटाने की बात तो कोई मज़ाक नहीं, ये तो जज्बा है!!! जनता को जागरूक करने का उनका तरीका बिल्कुल काबिल‑ए‑तारीफ़ है!!!
वाओ!!! क्या डायलॉग है!! खड़गे साहब की बर्निंग इंटेंसिटी तो जैसे सिनेमा का क्लाइमैक्स!! भीड़ देख रही थी, दिल धड़क रहा था!!
काठुआ रैली में खड़गे जी की तबीयत बिगड़ना एक चौंकाने वाला क्षण था।
जब उन्होंने घुटन महसूस की, तो भीड़ ने तुरंत उनके स्वास्थ्य की चिंता जताई।
फिर भी खड़गे जी ने अपना भाषण जारी रखा, जो उनकी अडिगता को दर्शाता है।
जैसे ही उन्होंने मोदी को सत्ता से हटाने की बात कही, माहौल गरजने लगा।
इस बयान ने कई युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया और उत्साह को बढ़ाया।
जम्मू‑कश्मीर की राज्यता बहाल करने का उनका वादा राजनीतिक रूप से बड़ी महत्वता रखता है।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस के लिए यह एक रणनीतिक कदम है।
उन्हें स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के बावजूद मंच पर बने रहना कई लोगों को प्रशंसा की ओर ले गया।
डॉक्टरों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और स्थिति को स्थिर बताया।
भाषण के दौरान उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों में बल और दृढ़ता झलके।
भविष्य में रामनगर में होने वाली रैली के लिए समर्थन इकट्ठा करना अब और आसान हो गया है।
वहां भी खड़गे जी अपने मुद्दों को उसी जोश के साथ पेश करेंगे।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य भी राजनीतिक जमीनी स्तर पर एक मुद्दा बन सकता है।
जैसे ही चुनाव की तारीख नज़दीक आती है, ऐसे दृढ़ नेता पार्टी को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं।
समग्र रूप से, खड़गे जी की प्रतिबद्धता और साहस दोनों ही उनके अनुयायियों में गहरी छाप छोड़ते हैं।
जैसा कि आपने विस्तृत विश्लेषण किया, खड़गे जी की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के बावजूद उनका राजनीतिक दृढ़ता उल्लेखनीय है।
उनका समर्पण निश्चित रूप से पार्टी के भीतर सकारात्मक माहौल बनाता है।
खडगे जी की ओहमा तो बड़िया हे, पूरे गोल्ली में सारा माहौल एर्ज़्वत है।
भाई ये खड़गे का ड्रामा फालतू मत समझो, असली मुद्दा है सत्ता से हटाना, बाकी सब पेरकट है!!!
संवैधानिक पुनर्कल्पना की दिशा में खड़गे का विमर्श रणनीतिक है।
👍 सही कहा! 😃 खड़गे का विज़न हमें नए रास्ते दिखा रहा है।
चलो मिलकर ऊर्जा देंगे 🔥 खड़गे को सपोर्ट करेंगे 😊
शुभम ने ऊर्जा का संदेश दिया, जो सुनने में सरल लगता है।
हालांकि, राजनीति में ऊर्जा केवल शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कार्यों से सिद्ध होती है।
खड़गे जी का स्वास्थ्य जोखिम और उनका दृढ़ रहना, जनता में एक जीवंत प्रेरणा बन चुका है।
उनकी विरोधी रणनीति, विशेषकर मोदी को सत्ता से हटाने की प्रतिज्ञा, राजनीतिक माहौल को पुनः आकार दे रही है।
भविष्य में यदि हम इस ऊर्जा को संगठित करके उपयोग करें, तो कांग्रेस की जीत की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।
साथ ही, यह भी जरूरी है कि हम स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों को नज़रअंदाज़ न करें।
जब तक नेताओं का स्वास्थ्य मजबूत नहीं, तब तक उनकी योजना पूरी तरह से लागू नहीं हो पाएगी।
इसलिए, हम सभी को समर्थन के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील भी होना चाहिए।
बहुत बढ़िया विश्लेषण, अजय। आपके विचारों में गहराई है और आशावाद भी दिखता है। राजनीति में ऊर्जा और स्वास्थ्य दोनों को साथ ले जाना ही सफलता की कुंजी है।
खड़गे जी का बयान राजनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है, जबकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति एक सूचना के रूप में ध्यान देने योग्य है।
सही कहा