प्रीति पाल का ऐतिहासिक कांस्य पदक
उनकी इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने न केवल भारतीय पैरा-एथलीट्स का मान बढ़ाया है, बल्कि उन्होंने भारतीय खेल इतिहास में एक खास मुकाम बना लिया है। पेरिस 2024 पैरालंपिक में प्रीति पाल ने 100 मीटर T35 वर्ग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस इवेंट में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। 23 वर्षीय प्रीति ने इस दौड़ में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 14.21 सेकंड हासिल किया। चीन की झोउ ज़िया और क्वियानक़ियान गुओ ने इस प्रतियोगिता में क्रमशः 13.58 सेकंड और 13.74 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण और रजत पदक जीता।
टी35 वर्ग का परिचय
टी35 वर्ग उन धावकों के लिए है जिनके पास समन्वय विकार होते हैं, जैसे की हाइपरटोनिया, एटैक्सिया और एथेटोसिस। इस वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए प्रीति ने न केवल अपने देश के लिए एक पदक जीता बल्कि अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को भी उभारा। यह पदक प्रीति के कठिन परिश्रम और उनकी दृढ़ता का परिणाम है।
पहली बार पैरालंपिक में भागीदारी
इससे पहले, प्रीति ने इस वर्ष के आरंभ में जापान के कोबे में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं के 200 मीटर टी35 इवेंट में कांस्य पदक जीतकर पेरिस 2024 पैरालंपिक में अपनी योग्यता हासिल की थी। उस प्रतियोगिता में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद, उन्होंने पेरिस में भी अपने देश के लिए पदक जीतने का सपना पूरा किया।
प्रशिक्षण का महत्व
प्रीति ने अपनी उपलब्धि के लिए अपने प्रशिक्षण परिवर्तन को भी महत्व दिया, जिसके तहत उन्होंने नई दिल्ली में प्रशिक्षण लिया। वहाँ, उन्हें मजबूत और अनुभवी पैरा-एथलीट्स के साथ अभ्यास करने का अवसर मिला। इस प्रशिक्षण ने प्रीति की नई ऊँचाइयों को छूने में मदद की। उनकी इस उपलब्धि के पीछे की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और कठिन परिश्रम से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
आइंदा की उम्मीदें
प्रीति पाल अब अपनी नज़रें महिलाओं के 200 मीटर टी35 वर्ग पर लगाए हुए हैं, जिसकी फाइनल प्रतियोगिता रविवार को होगी। प्रीति अपने आगामी मैचों को लेकर काफी उत्साहित हैं और उम्मीद करती हैं कि वह अपने देश के लिए और अधिक पदक लेकर आएंगी।
भारतीय पैरालंपिक दल का प्रदर्शन
भारत का पेरिस 2024 पैरालंपिक में अब तक का प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा है। प्रीति के कांस्य पदक से पहले, अवनी लेखारा और मोना अग्रवाल ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग एसएच1 वर्ग में पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया था। यह पेरिस 2024 में भारत का तीसरा पैरालंपिक पदक रहा।
प्रीति पाल की इस असाधारण उपलब्धि ने भारतीय पैरा-एथलेटिक्स को एक नई दिशा दी है। यह उपलब्धि देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी और भविष्य में और भी अधिक भारतीय पैरा एथलीट्स को प्रोत्साहित करेगी।
एक टिप्पणी लिखें