अवैध शराब: पहचानें, समझें और तुरंत सुरक्षित रहें
अवैध शराब लाखों लोगों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। अक्सर सस्ती कीमत और बिना लेबल के कारण लोग खरीद लेते हैं — पर वही कई बार जानलेवा साबित होती है। यहाँ आसान तरीके बताऊँगा जिससे आप पहचान सकें, बचाव कर सकें और शक होने पर क्या करना चाहिए।
अवैध शराब की पहचान कैसे करें
सबसे पहला संकेत कीमत होती है: अगर पैकेज या बोतल की कीमत बाजार से बहुत कम है, सजग हो जाएँ। आधिकारिक ब्रांड पर एक्साइज या टैक्स स्टाम्प, बैच नंबर और कार्यशाला की जानकारी होती है; इनका अभाव चिंता की वजह है।
बोतल पर लेबल, निर्माण तिथि और निर्माता का पता देखें। नकली या बिना लेबल की बोतलें, प्लास्टिक की चमकदार बैरलों में दाम कम होने पर अक्सर अवैध होती हैं। सुगंध और रंग भी संकेत देते हैं: तेज़ रसायनी खुशबू, बदला हुआ रंग या तलछट हो तो न खरीदें।
स्थानीय लाइसेंसधारी दुकान से ही खरीदें और बड़ी भीड़ वाले अस्थायी स्टॉल्स से बचें। अगर दुकानदार रसीद न दे या पैकिंग खोलने पर आपत्ति करे तो खरीदना सही नहीं है।
शक होने पर तुरंत क्या करें
पहला काम: अगर पीने के बाद चक्कर, उल्टी, पेट दर्द, सांस फूलना, या अचानक दृष्टि धुंधली हो तो तुरंत नज़दीकी अस्पताल जाएँ। मेथनॉल विषाक्तता से आँखें प्रभावित होकर अँधा कर सकती है और जीवन के लिए भी खतरा हो सकता है।
फोन तुरंत 112 पर करें और अस्पताल जाते समय पैकेजिंग और खाली बोतल साथ रखें — यह डॉक्टर और अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण सबूत है। मरीज को बेहोश होने पर सामान्यत: घर पर वийм कराना ठीक नहीं; डॉक्टर की सलाह पर ही कदम उठाएँ।
घटना रिपोर्ट करें: स्थानीय पुलिस और राज्य एक्साइज विभाग को सूचना दें। कई राज्यों में एक्साइज विभाग की हॉटलाइन होती है — स्थानीय कार्यालय की जानकारी ले लें। अगर संभव हो तो फूड सेफ्टी अथॉरिटी या हेल्थ डिपार्टमेंट को भी सूचित करें।
रोकथाम के आसान नियम: केवल लाइसेंसधारी दुकानों से खरीदें, बहुत सस्ती चीजों से बचें, किसी अज्ञात स्रोत से मिली घरेलू बनी शराब न पीएं। जश्न में भी सुनिश्चित करें कि पेय की पैकिंग और असलियत जाँची हुई हो।
अगर आप समुदाय में हैं, तो आसपास वालों को भी बताएँ — एक रिपोर्ट कई लोगों की जान बचा सकती है। डॉक्टर के निर्देश और अधिकारियों को सूचना देने में देरी न करें। सुरक्षित रहना सरल है: शहादत नहीं, समझदारी से खरीदें और शक होने पर तुरंत कार्रवाई करें।
कल्लकुरीची अवैध शराब त्रासदी के बाद, एआईएडीएमके के महासचिव एडप्पाडी के पलानीस्वामी ने मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के इस्तीफे की मांग की। पलानीस्वामी ने डीएमके सरकार पर अवैध शराब की उत्पादन और बिक्री पर नियंत्रण करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
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