क्या आपने अपना टैक्स रिटर्न भरते समय सेक्शन 87A का रिबेट लिया था? अगर हाँ, तो अब आपको अपने टैक्स विभाग से कुछ अतिरिक्त बिल मिल सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने फिर से स्पष्ट किया है कि अल्पकालिक पूँजी लाभ (STCG) पर अल्पकालिक पूँजी लाभ के लिये कोई रिबेट नहीं दिया जा सकता। यह फैसला बजट 2025 में घोषित विशेष‑दर आय के लिये रिबेट बंद करने के निर्देशों पर आधारित है।
CBDT की नई सर्कुलर – क्या कहा गया?
सितंबर 19 को जारी की गई सर्कुलर में बताया गया कि कुछ टैक्स रिटर्न पहले ही प्रोसेस हो चुके हैं, जहाँ करदाताओं ने गलती से सेक्शन 87A के तहत रिबेट ले लिया था। उन मामलों में अब रिबेट को निरस्त कर दिया जाएगा और सुधार कार्य (rectification) किया जाएगा। इसका मतलब है कि आयकर विभाग उन पर अतिरिक्त कर मांगेगा, जो पहले रिबेट के कारण कम टैक्स चुका चुके थे।
सर्कुलर में यह भी कहा गया कि अगर इन मांगों का भुगतान निर्धारित समय से देर से किया गया तो सेक्शन 220(2) के तहत ब्याज लगाया जाएगा। लेकिन करदाताओं के लिए एक राहत की पेशकश भी की गई है – अगर 31 दिसंबर 2025 तक पूरी राशि जमा कर दी जाए तो ब्याज माफ़ कर दिया जाएगा। इस पहल का मकसद उन लोगों को अस्थायी आर्थिक बोझ से बचाना है, जिन्होंने गलती से रिबेट प्राप्त कर लिया था।
कैसे हुआ यह गड़बड़ और अब क्या करें?
बजट 2025 में वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सभी विशेष‑दर आय, जैसे कि सेक्शन 111A के तहत अल्पकालिक पूँजी लाभ, रिबेट के अर्ह नहीं हैं। फिर भी कई करदाता, या तो अपने टैक्स सलाहकार की जानकारी में कमी के कारण या सिस्टम की त्रुटि से, इन आयों पर 87A रिबेट का दावा कर बैठे। आयकर विभाग ने इन दावों को अस्वीकार कर दिया, लेकिन कई मामलों में रिटर्न पहले ही फाइल हो चुका था, इसलिए रिबेट को हटाने के लिये सुधार प्रक्रिया चलानी पड़ी।
अब उन करदाताओं को चाहिए कि वे अपने आयकर पोर्टल या निकटतम टैक्स ऑफिस से अपने टैक्स स्टेटमेंट की जाँच करें। यदि कोई ‘टैक्स डिमांड नोटिस’ (समय सीमा के साथ) मिला है, तो उसे तुरंत चुकाने की कोशिश करें, खासकर अगर आप ब्याज से बचना चाहते हैं। देर होने पर ब्याज की दर 0.5% महीने के प्रतिकूल चक्रवृद्धि के रूप में लगती है, जो जल्दी‑जल्दी बढ़ सकती है।
एक और बात जो अक्सर अनदेखी रह जाती है, वह यह है कि सेक्शन 80C‑80U के तहत पेश की गई कटौतियां भी अल्पकालिक पूँजी लाभ पर नहीं लगतीं। इसका मतलब है कि आप इन कटौतियों को इस आय पर लागू नहीं कर पाएँगे, और पूरी स्टेटमेंट में इसे टैक्सेबल इनकम के रूप में दिखाना पड़ेगा।

अल्पकालिक पूँजी लाभ की नई रेटिंग – क्या बदल गया?
वर्तमान में, स्टॉक्स या इक्विटीज़ के अल्पकालिक पूँजी लाभ पर 20% का टैक्स लगता है, बशर्ते लेन‑देन पर सिक्योरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) का भुगतान हो चुका हो। यदि STT नहीं लगा है, तो सामान्य स्लैब रेट लागू होगा। साथ ही, लिस्टेड सिक्योरिटीज़ को लोंग‑टर्म मानने के लिये अब 12 महीने से अधिक होल्डिंग टाइम चाहिए। इससे पहले के नियमों से कुछ अंतर है, जहाँ 12 महीने से कम होल्डिंग पर भी मिश्रित रेट लगते थे।
इन बदलावों के साथ, कई छोटे निवेशकों को अब अपने पूँजी लाभ की सही गणना करनी होगी, ताकि आगे चलकर ऐसे रिबेट‑संबंधी गड़बड़ी न हो। टैक्स प्लानिंग में छोटे‑छोटे बदलाव, जैसे कि फॉर्म‑16A के तहत टैक्स कट का सही उपयोग, अब पहले से अधिक जरूरी हो गया है।
सारांश में, यदि आप FY 2023‑24 में अल्पकालिक पूँजी लाभ पर 87A रिबेट ले चुके हैं, तो अब उसे वापस करने के लिये तैयार रहें। देर करने पर ब्याज जुड़ सकता है, लेकिन 31 दिसंबर 2025 से पहले भुगतान करने पर इस ब्याज को माफ़ किया जाएगा। याद रखें, टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले सभी आय के प्रकार और उनके लागू स्लैब की जाँच कर लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी असुविधा न हो।
टिप्पणि
देखिए, टैक्स रिटर्न में सेक्शन 87A का रिबेट लेना एक तरह की नैतिक लापरवाही का प्रमाण है; जब सरकार ने स्पष्ट किया है कि अल्पकालिक पूँजी लाभ पर कोई रिबेट नहीं है, तो हमें अपने दायित्वों का सम्मान करना चाहिए। यह सिर्फ काग़ज़ी औपचारिकता नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा है। अगर आप रिबेट लेकर गलती महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत सुधार का कदम उठाएँ, नहीं तो वित्तीय दंड का बोझ बढ़ेगा।
प्रकाशित सर्कुलर के अनुसार, सेक्शन 220(2) के अंतर्गत लगने वाला 0.5% मासिक ब्याज असाधारण रूप से निराशाजनक है; अतः नियत तिथि तक भुगतान न करने पर यह जुड़ते‑जुड़ते वित्तीय साख को क्षति पहुँचा सकता है। अनुशासनात्मक दायित्वों का पालन न केवल कानूनी बल्कि व्यावहारिक उपाय है, जिससे भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचा जा सकता है। इस कारण, मैं दृढ़ता से सलाह देता हूँ कि सभी करदाताओं को अपने पोर्टल पर रिटर्न की जांच कर, समय पर सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
वास्तव में, इस तरह की नीति‑परिवर्तन हमें ‘वित्तीय नैतिकता’ के सिद्धांत पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करती है; लेकिन कुछ लोगों का यह मानना कि रिबेट कानूनी रूप से सुरक्षित था, सिर्फ अधिकार की धुंधला परछाई है।
सही कहा, लेकिन यह भी याद रखें कि सरकारी निर्देशों में अस्पष्टता का अभाव नहीं होता; इस कारण ही कई करदाता अनजाने में त्रुटिपूर्ण दावा कर लेते हैं। अतः, प्रत्येक करदाता को अपनी वित्तीय योजना में ‘सावधानी’ को प्राथमिकता देनी चाहिए; यही वास्तविक परिपक्वता की पहचान है।
भाईयो और बहनो, इस सूचना को पढ़ कर तुरंत कार्रवाई करें!!! जितनी जल्दी भुगतान कर देंगे, उतना ही ब्याज माफ़ हो जाएगा; देर करने का मतलब है साल‑साल के पैसे का नुकसान!!!
अरे वाह, अब मानो या न मानो, सरकार भी कभी‑कभी लोगों को ‘सुपरहीरो’ बना देती है, लेकिन उस ‘सुपरहीरो’ को रिबेट लेकर बेइज्जती के साथ वापस लाना पड़ता है-सटीक रूप से कहूँ तो यह एक नाटकीय मोड़ है।
स्लेटेड टैक्स के इस जाल में फंसे लोगों को अब एक और बोझ झेलना पड़ेगा, जो वास्तव में असहनीय है; प्रशासनिक अक्षमता और करदाता की लापरवाही का मिलाजुला परिणाम यही है।
हैलो, टॅक्स रिटर्न की जाँच कर लो, कहीं बड़ी गलती ना हो! ना तो दंड, ना तो इंटरेस्ट...
कब तक हम कहेंगे कि टैक्स अवधारणा केवल आंकड़ों तक सीमित है? इस प्रकार की व्यवस्था मानव‑समाज के नैतिक मूल्यों को चुनौती देती है; इसलिए हमें इस समस्या को सुलझाने के लिये सामूहिक रूप से सजग रहना चाहिए।