पुणे पुलिस ने उस पोर्शे दुर्घटना में शामिल 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी के पिता को गिरफ्तार कर लिया है, जिसमें दो युवा आईटी पेशेवरों अनीश अवहदिया और अश्विनी कोष्ठा की जान चली गई थी। नाबालिग को उसकी गिरफ्तारी के 14 घंटे के भीतर ही जमानत मिल गई थी, जिसमें 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और उनके समाधानों पर 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्तें शामिल थीं।
हालांकि, पुलिस ने इसका विरोध किया है और उच्च न्यायालय से नाबालिग के खिलाफ वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। इस बीच, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को इस घटना में उनकी कथित भूमिका के लिए औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
यह घटना 19 मई को हुई थी जब नाबालिग अपने पिता की पोर्शे कार को बिना नंबर प्लेट के तेज रफ्तार से चला रहा था। उसे शराब के नशे में पाया गया था। पुलिस इस मामले को जघन्य अपराध मानकर इसे साबित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
मृतकों के परिवार ने जमानत की शर्तों की आलोचना की
मृतकों के परिवार ने जमानत की शर्तों की आलोचना करते हुए नाबालिग को 'मानव बम' करार दिया है और कड़ी सजा की मांग की है। उन्होंने कहा कि नाबालिग को सिर्फ इसलिए जमानत दी गई क्योंकि वह अमीर परिवार से है। यह गरीब लोगों के साथ भेदभाव है।
परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि नाबालिग ने जानबूझकर उनके बच्चों को टक्कर मारी थी। उन्होंने कहा कि यह कोई दुर्घटना नहीं बल्कि एक जानबूझकर किया गया कृत्य था। उन्होंने पुलिस से इस मामले की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की है।
पुलिस जांच में जुटी
पुणे पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। उन्होंने घटनास्थल से सबूत इकट्ठा किए हैं और गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। पुलिस ने नाबालिग आरोपी और उसके पिता के खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 279 (लापरवाही और अनियंत्रित तरीके से वाहन चलाना) और 337 (गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस का कहना है कि वे इस मामले को हल्के में नहीं ले रहे हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि नाबालिग होने का मतलब यह नहीं है कि वह कानून से ऊपर है। पुलिस आयुक्त के मुताबिक, "हम इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। हमने जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों को सजा मिले।"
सड़क सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है। हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें से अधिकांश दुर्घटनाएं तेज रफ्तार, लापरवाही और शराब के नशे में गाड़ी चलाने के कारण होती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क सुरक्षा के लिए सख्त कानून और जागरूकता अभियान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है।
सरकार ने भी सड़क सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं। हाल ही में, मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन किया गया है, जिसमें ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
पुणे पोर्शे दुर्घटना एक दुखद घटना है जिसने दो युवा जिंदगियों को छीन लिया। यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर प्रकाश डालती है। हमें सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक होने और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की जरूरत है। साथ ही, हमें ऐसी घटनाओं के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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