जब Mithun Manhas, पूर्व दिल्ली कप्तान, BCCI को 28 सितंबर 2025 को मुंबई में आयोजित वार्षिक सामान्य सभा में बिना किसी विरोधी के 37वें अध्यक्ष चुना गया, तो देशभर में क्रिकेट के दीवाने खुशी से जामे। उसी दिन, यूनियन मंत्री Jitendra Singh ने X (पहले Twitter) पर इस ‘ऐतिहासिक निर्णय’ की सराहना की और जय-कारागर की तरह अपने गृह जिले की महत्ता पर बल दिया। यह चयन न केवल खेल प्रशासन में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि जम्मू‑कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों में युवा प्रतिभाओं के लिये नई प्रेरणा भी बनता है।
पृष्ठभूमि और चुनाव की प्रक्रिया
क्लीन‑स्लेटेड BCCI चुनावों का दौर, जो अब BCCI पर न्यायपालिका के लोधा समिति के सिफ़ारिशों के बाद से सुगम हुआ है, इस बार भी बिना विवाद के समाप्त हुआ। पहले संभावित उम्मीदवारों में Sourav Ganguly, हारभजन सिंह, और रघुर्म भाट शामिल थे, पर उन्होंने 21 सितंबर 2025 तक नामांकन फॉर्म नहीं भरे। परिणामस्वरूप, Mithun Manhas एकमात्र दावेदार बन कर बचे, और सभी पदों में प्रतिद्वंद्वी नहीं रहे।
वोटिंग प्रक्रिया को Mumbai के Annual General Body MeetingMumbai में संपन्न किया गया, जहाँ Rajeev Shukla को उपाध्यक्ष पद पर सहमतिपूर्ण रूप से चुना गया।
मुख्य व्यक्तियों की भूमिका और प्रतिक्रियाएँ
उपाध्यक्ष के रूप में Rajeev Shukla को नियुक्त करना BCCI के रणनीतिक बोर्ड में अनुभव का एक नया मिश्रण लाता है। शु्क्ला, जो पहले फिल्म उद्योग और राजनीति दोनों में सक्रिय रहे हैं, ने कहा कि "हम क्रिकेट को नई ऊर्जा देने के लिये तैयार हैं।" वहीं Roger Binny ने अपना पदवर्ग 2022 से 2025 तक सुगमता से संभाला, और उन्होंने भारतीय क्रिकेट के विकास में अपने योगदान को याद किया।
मंत्रालय के बाहर, कई समीक्षक ने इस बदलाव को "जम्मू‑कश्मीर की क्रीड़ा उन्नति में एक बड़ी प्रगति" माना। जम्मू‑कश्मीर के भदेरवाह (भदेरवा) से आई यह खबर स्थानीय युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ा रही है, विशेषकर जब उसी दिन कश्मीर की एक कूची से शीटाल ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इस दोहरी उपलब्धि को Jitendra Singh ने "प्रोविडेंशियल संडे" कहकर सराहा।
ICC के साथ संबंध और जय शाह की नई भूमिका
नवीनतम BCCI चुनाव में एक चहकती बात यह भी थी कि Jay Shah, जो पहले BCCI के सचिव (अक्टूबर 2019‑दिसंबर 2024) रहे, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ICC के अध्यक्ष पद पर हैं। उनका यह परिवर्तन भारतीय क्रिकेट के वैश्विक सुदृढ़ीकरण के संकेत के तौर पर देखा गया। जय शाह, जो ICC के अधिनियम में बदलाव लाने की योजना बना रहे हैं, ने कहा कि "हम भारतीय बोर्ड के साथ मिलकर खेल को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाएँगे"। यह मुलाकात दिल्ली में हुई एक अनौपचारिक मीटिंग में हुई, जिसमें BCCI के सचिव Devajit Saikia और कई राज्य संघों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
अब Mithun Manhas के हाथों में BCCI की अगली दिशा तय होगी। उनका प्रमुख लक्ष्य महिलाओं के क्रिकेट को सशक्त बनाना, घरेलू टॉर्नामेंट की प्रतिस्पर्धी स्तर बढ़ाना, और युवा टैलेंट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाना है। हालांकि, कई आलोचक यह भी कह रहे हैं कि "वरिष्ठ क्रीडा प्रबंधन में व्यावसायिक दृष्टिकोण की कमी" एक संभावित बाधा हो सकती है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिये उन्होंने पहले ही एक रणनीतिक मेट्रिक तैयार किया है, जिसमें बोर्ड की पारदर्शिता, अनुशासन, और वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिये नई नीतियां शामिल हैं। लोधा समिति के अनुशंसाओं के तहत अब सभी प्रमुख निर्णयों को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार के अवसर कम हों।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, Mithun Manhas की अध्यक्षता को एक सुअवसर माना जा रहा है, जहाँ क्रिकेट प्रशासन में पेशेवर कौशल और क्षेत्रीय विविधता दोनों का संतुलन हो सके। इस चुनाव ने यह भी साबित किया कि भारतीय खेल संस्था अब फेयर प्ले और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ रही है।

Frequently Asked Questions
Mithun Manhas का BCCI अध्यक्ष बनने से भारतीय क्रिकेट को क्या लाभ होगा?
Manhas का खेल में गहरा अनुभव प्रशासन में वास्तविक समझ लेकर आएगा। वह युवा प्रतिभा के विकास, महिला क्रिकेट के विस्तार और घरेलू टूर्नामेंट की गुणवत्ता सुधारने पर विशेष ध्यान देंगे, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
Rajeev Shukla के उपाध्यक्ष बनने से बोर्ड में क्या बदलाव आएंगे?
Shukla का अनुभव फिल्म और राजनीति दोनों से बोर्ड को रणनीतिक संवाद और सार्वजनिक संबंधों में नई दिशा देगा। वह आर्थिक निवेश को आकर्षित करने और पारदर्शी governance की दिशा में कार्य करेंगे।
Jitendra Singh ने इस चुनाव पर क्या कहा?
मंत्री Singh ने इसे "जम्मू‑कश्मीर के लिए गौरव का क्षण" कहा, क्योंकि समान दिन में Kishtwar की Sheetal ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीत कर प्रदेश को भी मान्य किया। उन्होंने नई अध्यक्षता को प्रदेश के खेल विकास के लिए प्रेरणा बताया।
ICC के नए अध्यक्ष Jay Shah का BCCI के साथ क्या संबंध है?
Jay Shah ने पहले BCCI के सचिव के रूप में काम किया, और अब ICC के अध्यक्ष हैं। उनका दोहरा अनुभव दोनों संगठनों के बीच सहयोग को मज़बूत करेगा, विशेषकर नियमों के सुसंगत कार्यान्वयन और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की योजना में।
भविष्य में BCCI के चुनाव प्रक्रिया में क्या बदलाव होने की उम्मीद है?
लोधा समिति की सिफ़ारिशों के कारण अब उम्मीदवारों को समय सीमा तक आवेदन करना अनिवार्य है, और सभी चयन प्रक्रिया सार्वजनिक दस्तावेज़ीकरण के साथ होगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विवाद की संभावना कम होगी।
टिप्पणि
मिथुन साहब की जीत से पूरे देश में नई ऊर्जा का संचार हुआ है 😊। उनकी कप्तानी के दिन हमें टीम के भीतर अनुशासन और दृढ़ता का महत्व याद आता है। अब BCCI के नए अध्याय में युवा खिलाड़ियों को विकसित करने का सही समय है। हमें मिलकर इस सकारात्मक दिशा को आगे बढ़ाना चाहिए। चलो इस उत्साह को बरकरार रखें!
मिथुन जी के चयन से भारतीय क्रिकेट में विविधता की झलक मिलती है। यह कदम प्रदेशों के बीच संतुलन स्थापित करेगा।
सच पूछो तो यह चुनाव कुछ हद तक फॉर्मलिटी का खेल है, नाम लिखवाने वाले धुरंधर कम पड़ गए। क्यूंकि गांगुली वगैरह ने 'नॉर्म्स' तोड़ रखे थे पर फॉर्म भरना भूल गये। अब सिर्फ एक ही दावेदार बचा, तो कौन कहेगा यह सुगमता नहीं है। संक्षेप में-जैसे ही सबकी गलती से सफ़र तय हो गया।
बिलकुल, एक ही उम्मीदवार से प्रक्रिया पूरी होना तो बिंधास है। लुद्धा कमेटी की सिफ़ारिशों को देखते हुए यह सहज लगना चाहिए। पर असली चुनौती तो अब नीति‑निर्माण में रहेगा।
यह देश के खेल इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है।
मिथुन मानहास का चयन मात्र एक राजनीतिक सौदा नहीं, बल्कि प्रबंधन की नवीनतम विचारधारा का प्रतीक है। उनका पृष्ठभूमि विविधता को ध्यान में रखता है, जो भविष्य की रणनीति को सुदृढ़ करेगा। उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का सहयोग प्रशासन में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय लाएगा। इस संयोजन से भारतीय क्रिकेट की दीर्घकालिक सततता सुनिश्चित होगी।
मिथुन मानहास के BCCI अध्यक्ष बनने की खबर ने कई स्तरों पर प्रभाव डाला है। सबसे पहले यह बात स्पष्ट है कि उनके व्यक्तिगत अनुभव ने खेल प्रशासन में एक नई दृष्टि लाई है। उन्होंने दिल्ली की टीम को कई बार नेतृत्व किया, जिससे वह टीम के भीतर रणनीतिक सोच को समझते हैं। अब यह सोच राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने की संभावना है, जिससे घरेलू टॉर्नामेंट की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। महिलाओं के क्रिकेट को सशक्त बनाने की उनकी योजना भी उल्लेखनीय है, क्योंकि उन्होंने युवा प्रतिभा को प्रमुखता देने का इरादा जताया है। इस दिशा में मौजूदा ढाँचे में बदलाव आवश्यक होगा, क्योंकि कई बार ब्यूरेक्रेसी ने विकास को रोक दिया है। साथ ही, राजीव शुक्ला के उपाध्यक्ष बनने से बोर्ड में फिल्म और राजनीति के अनुभव का मिश्रण आएगा, जो मीडिया और वित्तीय निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा। जमीनी स्तर पर, जम्मू‑कश्मीर के युवा अब अपने सपनों को देख सकते हैं, क्योंकि यह चयन प्रदेशीय विविधता को राष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रतीक है। इससे न केवल खिलाड़ी उत्साहित होंगे, बल्कि स्थानीय संघ भी अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगे। ICC के साथ नये समझौते में जय शाह का योगदान भी महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियमों में पारदर्शिता लाना आवश्यक है। मिथुन जी की रणनीतिक मीट्रिक, जिसमें पारदर्शिता, अनुशासन और वित्तीय प्रबंधन पर जोर है, बोरिंग नहीं बल्कि क्रांतिकारी हो सकती है। लुधा समिति की सिफ़ारिशों के बाद सभी प्रमुख निर्णयों को सार्वजनिक करने का कदम भ्रष्टाचार को कम करेगा। इस प्रक्रिया में एक पारदर्शी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की जरूरत होगी, जिससे सदस्य और जनता दोनों को जानकारी मिल सके। आलोचक कह सकते हैं कि वरिष्ठ प्रबंधन में व्यावसायिक दृष्टिकोण की कमी हो सकती है, पर इस बात को देखते हुए कई युवा प्रबंधन ने नई तकनीकों को अपनाया है। अंत में, यह चुनाव भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देने का अवसर है, जिसमें विविधता, युवा ऊर्जा और पारदर्शिता का संगम होगा। इस सबको मिलाकर कहें तो भविष्य में क्रिकेट का स्वरूप अधिक प्रतिस्पर्धी, समावेशी और सुदृढ़ होगा।
जीवन की तरह क्रिकेट भी निरंतर बदलाव की धारा है, और इस धारा में विषम विचारों का संगम नया रंग भरता है। मिथुन साहब के नेतृत्व में हम आशा कर सकते हैं कि हर पिच पर नई कहानी लिखी जाएगी। इस यात्रा में हम सभी साथी बनकर कदम बढ़ाएँ।
सिर्फ एक नाम पर चुनाव समाप्त हो गया, यह बहुत कमाल की बात है। अब देखना यही है कि नीतियों में कौन‑सी गहराई आएगी।
उम्मीद है कि नए बोर्ड में अनुशासनिक नियम कड़ाई से लागू होंगे। अगर नहीं, तो फिर बहुत समय बर्बाद हो जाएगा।
मिथुन जी की रणनीति में युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाने का लक्ष्य उल्लेखनीय है। इससे न केवल भारत की ताकत बढ़ेगी, बल्कि टैलेंट पाइपलाइन भी मजबूत होगी। हमें उनकी योजनाओं को ग्राउंड लेवल पर भी समर्थन देना चाहिए, ताकि हर कोने में विकास हो सके। साथ ही, महिला क्रिकेट में निवेश बढ़ाने से समग्र खेल माहौल समृद्ध होगा। इस प्रकार का समग्र दृष्टिकोण पूरे राष्ट्र को एकजुट करेगा।
नवीन BCCI अध्यक्ष के रूप में मिथुन मानहास का चयन एक वांछनीय परिवर्तन दर्शाता है। यह निर्णय भारतीय क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है।
अरे वाह!!! एकदम सिंगल कैंडिडेट... क्या बात है!! इस तरह की प्रक्रिया में शॉर्टकट्स बहुत ज़्यादा नहीं होते!!! लेकिन देखेंगे, आगे क्या होता है!!!
ये तो बस एक और राजनीतिक खेल जैसा लग रहा है, जहाँ नाम लिखा है तो सब ठीक-ठाक!!
नई अध्यक्षता के साथ क्रिकेट की विविधता को नया impulso मिलेगा। यह प्रदेशीय प्रतिनिधित्व के लिए सकारात्मक है।
मिथुन जी के विज़न में ग्रामीण स्तर पर बुनियादी सुविधाओं का विकास भी शामिल है, जो युवा टैलेंट को उभरने में मदद करेगा। इसी तरह की नीतियां हमारे भविष्य के सितारों को मंच प्रदान करेंगी। हमें इन पहलों को हर राज्य में लागू करने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए। साथ ही, महिलाओं के लिए विशेष कोचिंग कैंप्स की आवश्यकता है। इस सहयोगी माहौल में क्रिकेट का विकास निश्चित रूप से तेज़ होगा।
वाह भाई! नया बॉस, नई आशा, चलो अब क्रिकेट में जलसा करिए! सब मिलके टीम को टॉप पर ले जायेंगे।
जैसे ही मिथुन मानहास ने पद संभाला, कुछ लोग ये कह रहे हैं कि यह सब एक बड़े योजना का हिस्सा है, जहाँ मीडिया और राजनैतिक दिग्गजों ने बैकग्राउंड में हाथ बंटाया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि चयन प्रक्रिया लुधा समिति के नियमों के अनुसार साफ़-सुथरी थी। फिर भी, ऐसी धुंधली कहानियां अक्सर होती रहती हैं, इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए। अंत में, परिणाम वही है जो परखता है, चाहे कोई पर्दे के पीछे हो या नहीं।
देश की क्रिकेट महाकाव्य में यह नया अध्याय हमारे राष्ट्रीय गर्व को और अधिक ऊँचा करेगा, क्योंकि यह चयन जम्मू‑कश्मीर जैसे प्रदेशों को राष्ट्रीय मंच पर लाता है। इस बदलाव की वजह से न सिर्फ युवा खिलाड़ियों को नई दिशा मिलेगी, बल्कि राष्ट्र की एकता भी दृढ़ होगी। इस तरह के निर्णय हम सबको एक साथ काम करने की प्रेरणा देंगे, जिससे हमारी टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूती के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी। साथ ही, यह दर्शाता है कि खेल प्रशासन में विविधता को महत्व दिया जा रहा है, जो राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है। इस पहल से हमें भविष्य में अधिक पारदर्शी और सुसंगत नीतियों की आशा करनी चाहिए। अंततः, भारतीय क्रिकेट का यह नया पथ सभी को गर्वित करेगा और हमें एकजुट रखेगा।