डिजिटल स्वदेशी: भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का रास्ता

जब हम डिजिटल स्वदेशी, स्थानीय निर्मित सॉफ्टवेयर, डेटा और डिजिटल सेवाओं को प्राथमिकता देने की राष्ट्रीय पहल है. Also known as Digital Swadeshi. यह शब्द रोज़मर्रा की बातचीत में अक्सर सुनते हैं, लेकिन इसके पीछे कौन‑से घटक काम कर रहे हैं, अक्सर छुपे रहते हैं। यहाँ हम उन मुख्य तत्वों को खोलेंगे जो डिजिटल स्वदेशी को वास्तविक बनाते हैं।

मुख्य घटक और उनका परस्पर संबंध

पहला प्रमुख घटक है स्वदेशी ऐप, भारतीय विकासकर्ता द्वारा बनाई गई मोबाइल या वेब एप्लीकेशन, जो स्थानीय बाजार की जरूरतों को पूरा करती हैं. Alternate name Made‑in‑India Apps । ये ऐप सिर्फ भाषा का प्रश्न नहीं, बल्कि डेटा संग्रह, भुगतान एकीकरण और डेटा सुरक्षा को भी भारतीय मानकों के साथ बनाते हैं। दूसरा घटक डिजिटल भुगतान, UPI, भुगतान गेटवे और मोबाइल वॉलेट जैसी भारत‑निर्मित प्रणाली. Alternate name Digital Payments है, जो स्वदेशी ऐप को वित्तीय लेन‑देन में सहजता देता है। तीसरा, डेटा संप्रभुता, डेटा को देश के भीतर ही संग्रह, प्रोसेस और सुरक्षित रखने की नीति. Alternate name Data Sovereignty , इन दोनों को एक सुरक्षित बुनियाद देता है। अन्त में ओपन सोर्स, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कोड जो सहयोगी विकास और पारदर्शिता बढ़ाता है. Alternate name Open Source का प्रयोग अक्सर स्वदेशी ऐप में किया जाता है, जिससे लागत घटती है और सुरक्षा सुधरती है।

इन चार घटकों के बीच स्पष्ट संबंध बनता है: डिजिटल स्वदेशी स्थानीय ईकोसिस्टम को साकार करता है, स्वदेशी ऐप उस ईकोसिस्टम के अंदर कार्य करता है, डिजिटल भुगतान उसे व्यापारिक व्यवहार में जोड़ता है, डेटा संप्रभुता सभी जानकारी को सुरक्षित रखती है, और ओपन सोर्स सहयोग को तेज़ करता है। यही कारण है कि नीति निर्माता, स्टार्ट‑अप संस्थापक और आईटी पेशेवर इस दिशा में बहुत उत्साहित हैं।

सरकार ने कई योजनाएँ लॉन्च की हैं – जैसे ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ – जो मिलकर डिजिटल स्वदेशी को तेज़ी से आगे ले जा रहे हैं। इन योजनाओं में फंडिंग, कर राहत और बुनियादी ढाँचा समर्थन शामिल है। उदाहरण के तौर पर, 2024 में भारतीय सरकार ने 500 करोड़ रुपये का फंड स्वदेशी ऐप विकास के लिए आवंटित किया, जिसमें 70 % धन छोटे उद्यमों को दिया गया। इसी तरह, UPI को 2025 में 1.5 बिलियन लेन‑देन प्रतिदिन पार करने की उम्मीद है, जो केवल भारतीय प्लेटफ़ॉर्म की ताकत दिखाता है।

भविष्य में डिजिटल स्वदेशी के लिए कुछ प्रमुख रुझान उभर रहे हैं। पहला, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का स्वदेशी समाधान में एकीकरण, जिससे भाषा‑विशिष्ट NLP मॉडल भारत के कई भाषाओं में बेहतर सेवा दे सकेंगे। दूसरा, ब्लॉकचेन‑आधारित डेटा संप्रभुता मंच, जो सरकार के ‘डेटा लोकलाइज़ेशन’ लक्ष्य को साकार करेंगे। तीसरा, ग्रामीण इलाकों में निचले‑बैंड इंटरनेट के साथ स्थानीय ऐप की पहुँच बढ़ेगी, जिससे डिजिटल लिटरेसी में सुधार होगा। इन सभी विकासों से यह स्पष्ट है कि डिजिटल स्वदेशी सिर्फ एक टैग नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य की रीढ़ बन रहा है।

अब आप नीचे देखेंगे कि विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल स्वदेशी कैसे काम करता है – चाहे वह खेल की कीमतें, वित्तीय रिपोर्ट या सामाजिक मुद्दे हों। इन लेखों में हमने बताया है कि स्वदेशी ऐप कैसे स्थानीय उपयोगकर्ताओं को जोड़ते हैं, डिजिटल भुगतान के नए नियम क्या हैं, और डेटा संप्रभुता के कारण क्या बदलाव आएंगे। इन जानकारियों से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि डिजिटल स्वदेशी आपके रोज़मर्रा की डिजिटल ज़िंदगी को कैसे बेहतर बना सकता है।

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