इंग्लैंड फुटबॉल टीम के मैनेजर गैरेथ साउथगेट ने मंगलवार को यूरो 2024 के लिए एक ताज़ा अस्थायी स्क्वाड की घोषणा की, जिसमें कई उल्लेखनीय अनुपस्थितियां शामिल हैं, जिनमें मैनचेस्टर यूनाइटेड के मार्कस रैशफोर्ड और लिवरपूल के जॉर्डन हेंडरसन प्रमुख हैं। 33 सदस्यीय टीम में कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं जिन्होंने अभी तक इंग्लैंड के लिए अपना पहला मैच नहीं खेला है, जैसे लिवरपूल के कर्टिस जोन्स और जैरेल क्वांसा, एवर्टन के डिफेंडर जर्राड ब्रैंथवेट, और क्रिस्टल पैलेस के एडम व्हार्टन।
रैशफोर्ड का बाहर होना एक आश्चर्य के रूप में सामने आया, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड के लिए 60 मैच खेले हैं और 17 गोल किए हैं, लेकिन साउथगेट ने इस सीज़न मैनचेस्टर यूनाइटेड के लिए उनके निराशाजनक प्रदर्शन को इसका कारण बताया। हेंडरसन की चोट का इतिहास और अंतरराष्ट्रीय भविष्य पर विचार करने की उनकी इच्छा ने भी उनके बाहर होने में योगदान दिया।
साउथगेट ने टीम की संभावनाओं पर जताया भरोसा
साउथगेट ने टीम की संभावनाओं के प्रति आशावाद व्यक्त किया और जोर देकर कहा कि 'हर किसी के पास मौका है' और 7 जून की समय सीमा तक स्क्वाड को घटाकर 26 खिलाड़ियों तक लाया जाएगा। इंग्लैंड को उनके शानदार आक्रमण बल के कारण टूर्नामेंट का पसंदीदा माना जा रहा है, जिसमें फिल फोडेन, जूड बेलिंघम, हैरी केन और बुकायो सका जैसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिन्होंने अपने क्लब के लिए शानदार प्रदर्शन किया है।
हालाँकि, टीम का डिफेंस एक चिंता का विषय बना हुआ है, जिससे साउथगेट को अपनी अंतिम टीम का चयन करने से पहले नए विकल्पों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया गया है। इस अस्थायी टीम में मिडफील्ड और डिफेंस में कई युवा चेहरों को शामिल किया गया है जिन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।
युवा खिलाड़ियों को मिलेगा अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका
लिवरपूल के कर्टिस जोन्स और जैरेल क्वांसा, एवर्टन के जर्राड ब्रैंथवेट और क्रिस्टल पैलेस के एडम व्हार्टन जैसे युवा खिलाड़ियों को पहली बार इंग्लैंड टीम में शामिल किया गया है। ये खिलाड़ी अपने क्लब के लिए शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं और इस मौके का इस्तेमाल करके वे अपनी जगह पक्की कर सकते हैं।
इसके अलावा पहले से मौजूद खिलाड़ी जैसे डेक्लान राइस, मैसन माउंट, कैलविन फिलिप्स और जॉन स्टोन्स भी मिडफील्ड और डिफेंस में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन खिलाड़ियों का अनुभव और कौशल टीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
साउथगेट के पास फाइनल टीम चुनने की चुनौती
गैरेथ साउथगेट के सामने अब 33 खिलाड़ियों में से 26 की फाइनल टीम चुनने की चुनौती है। उन्हें ऐसी टीम तैयार करनी है जो हर विभाग में संतुलित हो और बड़े मैचों में दबाव झेल सके। उन्हें रक्षापंक्ति को मजबूत करने के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों पर भी भरोसा जताना होगा।
अगर साउथगेट अपने अनुभव और कौशल का सही इस्तेमाल करते हैं तो इंग्लैंड की टीम इस बार भी यूरो कप में शानदार प्रदर्शन कर सकती है। टीम में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उसे सही दिशा देने की जरूरत है।
फुटबॉल फैंस बेसब्री से इंग्लैंड की फाइनल टीम के ऐलान का इंतज़ार कर रहे हैं। उम्मीद है कि साउथगेट एक मजबूत और संतुलित टीम के साथ मैदान पर उतरेंगे और इंग्लैंड का परचम यूरो 2024 में लहराएंगे।
इंग्लैंड की अस्थायी टीम में शामिल प्रमुख खिलाड़ियों की सूची:
- गोलकीपर: जॉर्डन पिकफोर्ड, निक पोप, एरोन रामसडेल, सैम जॉनस्टोन
- डिफेंडर: ट्रेंट अलेक्जेंडर-अर्नोल्ड, रीस जेम्स, किरेन ट्रिपियर, हैरी मैग्वायर, जॉन स्टोन्स, एरिक डायर, मार्क गुहि, बेन चिलवेल, ल्यूक शॉ, जर्राड ब्रैंथवेट, जैरेल क्वांसा
- मिडफील्डर: डेक्लान राइस, जूड बेलिंघम, मैसन माउंट, फिल फोडेन, जैक ग्रीलिश, कैलविन फिलिप्स, जेम्स मैडिसन, कर्टिस जोन्स, एडम व्हार्टन, कोनोर गैलेघर
- फॉरवर्ड: हैरी केन, बुकायो सका, राहीम स्टर्लिंग, जैडन सैनचो, कैलम विल्सन, इवान टोनी, हार्वी बार्न्स, एब्रेहम मार्कस
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साउथगेट ने युवा खिलाड़ी छोड़के भरोसा दिखाया है, ये बहुत अच्छा है। कर्टिस जोन्स और एडम व्हार्टन को मौका मिलना चाहिए। अगर वे दम दिखाएँ तो टीम की गहराई बढ़ेगी।
हां, बिलकुल सही बात है...युवा ताकत को देखी जा सकती है!! पर थोड़ा‑भी‑संशय नहीं होना चाहिए।
इधर‑उधर बुनियादी खिलाड़ी निकाल कर क्या फायदा, रैशफोर्ड जैसे सीनियर को बाहर कर देना बेवकूफ़ी है। इस तरह की घमासान से टीम कमजोर पड़ जाएगी।
मुझे लगता है कि चयन में संतुलन आवश्यक है; अनुभव और नई ऊर्जा दोनों का मिश्रण टीम को स्थिर बनाता है। डिफेंस में गहराई न होने से जोखिम बढ़ता है।
रैशफोर्ड का हटना सही है 😒
चलो, वो युवा मारो! इंग्लैंड को नई चमक चाहिए, ट्रांसफॉर्मेशन का समय है।
युवा फुटबॉलरों की लॉक-बेयर को देखते हुए, साउथगेट ने एक साहसी कदम उठाया है जो कई वर्षों से चल रहे परिपक्व खिलाड़ी की प्रमुखता को चुनौती देता है। पहले तो लोग सोचते थे कि अनुभव के बिना बड़ी प्रतियोगिताओं में सफलता नहीं मिलती, पर अब इतिहास दिखा रहा है कि ताज़ा दिमाग और ऊर्जा टीम को नई दिशा दे सकती है। कर्टिस जोन्स की गति, जैरेल क्वांसा की रचनात्मकता, और एडम व्हार्टन की बेस्ट ड्रिब्लिंग कौशल, ये सभी इंग्लैंड के लिए अतिरिक्त आक्रमण विकल्प बन सकते हैं। डिफेंस में जर्राड ब्रैंथवेट का साहसिक खेल शैली भी ध्यान देने योग्य है, क्योंकि वह साइड-बैक पर तेज़ी से आगे बढ़ सकता है। साथ ही, ये युवा खिलाड़ी क्लब स्तर पर लगातार स्ट्राइक कर रहे हैं, उनके आँकड़े इशारा करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चमक सकते हैं। साउथगेट के पास अब चुनौती है कि एन्हांस्ड डिफेंस और एटैक को एक साथ सामंजस्य में लाया जाए। यदि उन्हें सही फ़ॉर्मेशन और खेल‑शैली मिले, तो युवा बंधु न केवल गेंद को संभालेंगे बल्कि टैक्टिकल डिसिप्लिन भी दिखाएंगे। यह एक बदलाव का संकेत है, जहाँ मैनेजर को न केवल मौजूदा सितारों पर भरोसा करना है, बल्कि भविष्य के सितारों को भी मंच पर लाना है। इस प्रक्रिया में टीम की इंटीरियरिटी और स्पिरिट भी मजबूत होगी, क्योंकि युवा खिलाड़ी अपने स्थान को सुरक्षित करने के लिए अधिक मेहनत करेंगे। अंततः, यह कदम इंग्लैंड को एक बहुमुखी, लचीली और साहसी टीम बनाता है, जो यूरो 2024 में किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।
इंग्लैंड की टीम में शाही ताकत है, रैशफोर्ड को हटाना हमें नई पीढ़ी की ओर ले जाता है, यह हमें जीत दिला सकता है।
सहज नहीं, लेकिन नया रैशफोर्ड हटा देना एक रणनीतिक कदम है; हमें देखना होगा कि युवा खिलाड़ी इस दबाव में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
उम्मीद है कि साउथगेट सही संयोजन बना पाएँगे, यही तो प्रशंसकों की आशा है।
क्या आप नहीं देखते कि इस चयन में किसी बड़े साज़िश का असर है? पीछे से कुछ शक्तियों ने खेल को मोड़ दिया होगा।
सेलेक्शन प्रक्रिया में कौनसे मानदंड थे, यह जानना ज़रूरी है; क्या क्लब परफ़ॉर्मेंस को प्राथमिकता दी गई?
हर बार नई टीम देखना तो मज़ा देता है, आशा है इस बार इंग्लैंड जीत के साथ जीत का जश्न मनाएगा।
बिल्कुल, पर हमें यह भी याद रखना चाहिए कि युवा खिलाड़ियों को मंच पर लाने से पहले उनकी मानसिक तैयारी भी जरूरी है, नहीं तो दबाव उनके प्रदर्शन को बिगाड़ सकता है।
लेख में सूची में “एरिक डायर” की वर्तनी “एरिक डायर” सही है; कृपया भविष्य में सही स्पेलिंग रखें।
यह चयन केवल मार्केटिंग ट्रिक है, वास्तविक दिखावटी नहीं।
ओह माई गॉड, रैशफोर्ड को निकालना तो जैसे फिल्म का क्लाइमैक्स हो गया! ड्रामा का अंत नहीं देख पाएँ।
वाह, साउथगेट ने तो बड़ी आकर्षक प्ले किया, अब देखते हैं कौनसी टीम उनके “जेनियस” को पहचान पाती है।
इंग्लैंड की नई टीम को देखना एक रंगीन पेंटिंग जैसा है, हर ब्रोशर में अलग‑अलग चमक है, आशा है यह यूरो 2024 के मंच पर जीवंत रंग बिखेरे।