पेरिस ओलंपिक के 14वें दिन LIVE: विनेश फोगट का अयोग्यता विवाद और अमन सहरावत की कुश्ती की उम्मीदें

विनेश फोगट का अयोग्यता विवाद

पेरिस ओलंपिक के 14वें दिन भारतीय पहलवान विनेश फोगट ने विवाद खड़ा कर दिया। वे 50 किग्रा महिलाओं की फ्रीस्टाइल श्रेणी के फाइनल में 100 ग्राम अधिक वजन की वजह से अयोग्य घोषित कर दी गईं। यह एक बहुत बड़ा झटका था क्योंकि विनेश दो बार की ओलंपियन थीं और इस बार स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही थीं। इस अयोग्यता के बावजूद, उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपील की, जिसमें उन्होंने एक संयुक्त सिल्वर मेडल की मांग की।

विनेश की अपील के निर्णय पर अभी CAS की प्रतिक्रिया आनी बाकी है। खिलाड़ियों के मानसिक और भावनात्मक पहलू पर भी यह घटना एक बड़ा प्रभाव डालती है, क्योंकि एक अनुभवी और मजबूत प्रतिस्पर्धी के लिए यह बहुत ही कठिन होता है।

अमन सहरावत की कुश्ती की उम्मीदें

अमन सहरावत की कुश्ती की उम्मीदें

इस बीच, युवा भारतीय पहलवान अमन सहरावत 57 किग्रा फ्रीस्टाइल सेमीफाइनल मुकाबले में जापानी टॉप-सीड रेई हिगुची से हार गए। इस हार के बावजूद, अमन के पास अभी भी ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने का अच्छा मौका है। अपने संक्षिप्त करियर में अमन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, और ये हार उनके सपनों को चकनाचूर भले ही कर दे, लेकिन उनकी तैयारी और प्रशिक्षण में उनकी दृढ़ निश्चयता दिखती है।

नीरज चोपड़ा की सफलता

नीरज चोपड़ा की सफलता

इसके अलावा, भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने पुरुषों की भालाफेंक प्रतिस्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर एक और नाम कमाया। उन्होंने 89.45 मीटर की दूरी तय की, जो उनके करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ थ्रो है। पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के रिकॉर्ड ब्रेकिंग थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। नीरज की इस सफलता पर पूरे देश ने गर्व महसूस किया और उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि वह विश्वस्तरीय एथलीट हैं।

भारतीय हॉकी टीम की जीत

भारतीय हॉकी टीम की जीत

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भी अपनी जीत की कहानी लिखी। उन्होंने स्पेन को 2-1 से हराकर लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जीता। टीम की इस जीत में कप्तान और खिलाड़ियों की सामूहिक मेहनत का नतीजा देखा जा सकता है। हॉकी भारत के लिए हमेशा एक सम्मान का खेल रहा है, और इस जीत ने एक बार फिर देश को गर्वित किया।

इस दिन के इवेंट्स में भारतीय गोल्फर्स अदिति अशोक और दीक्षा डागर भी महिला व्यक्तिगत राउंड 3 में हिस्सा ले रही हैं। उनके प्रदर्शन पर भी दर्शकों की नजरें हैं और वे देश को गर्वित करने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं।

इन सभी घटनाओं ने पेरिस ओलंपिक के 14वें दिन को भारतीय खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन बना दिया है, जहां कई एथलीटों ने संघर्ष, मेहनत और समर्पण से देश का नाम रोशन किया।

Ravi Kant

Ravi Kant

लेखक

मैं एक समाचार संपादक हूँ और दैनिक समाचार पत्र के लिए लिखता हूं। मेरा समर्पण जानकारीपूर्ण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति है। मैं अक्सर भारतीय दैनिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करता हूं ताकि पाठकों को अद्यतित रख सकूं।

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टिप्पणि

  • pradeep kumar
    pradeep kumar अगस्त 9, 2024

    विनेश की अयोग्यता तो बड़ी बेवकूफ़ी थी, लेकिन उनका बहाना किचन से ज्यादा नहीं समझ में आता।

  • MONA RAMIDI
    MONA RAMIDI अगस्त 13, 2024

    अरे यार, ये ओलंपिक की लड़ाइयाँ लाइफ के ड्रामा जितनी ही तीव्र होती हैं-विनेश की अयोग्यत्ता सुनकर दिल बोझिल हो गया।
    ऐसे मोमेंट्स में सपोर्ट नहीं, तो क्या है?

  • Vinay Upadhyay
    Vinay Upadhyay अगस्त 16, 2024

    सच में, 100 ग्राम की गलती पर अयोग्य घोषित करना ऐसा लगा जैसे सॉकर में गोलकीपर को लाल कार्ड दिखाना। ये तर्क नहीं, बस दिखावा है।

  • Divyaa Patel
    Divyaa Patel अगस्त 19, 2024

    पेरिस ओलंपिक का चौदहवाँ दिन भारत के लिए कई कहानियों का संगम था।
    विनेश फोगट की अयोग्यता ने पूरे देश को चौंका दिया, लेकिन इससे उनकी अडिग भावना और भी उज्ज्वल हुई।
    जब लोग कहते हैं “हिम्मत नहीं हारो,” तो वे बिल्कुल सही होते हैं, क्योंकि विनेश ने कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन में अपना केस दायर किया।
    यह कदम दर्शाता है कि जीत केवल पदक में नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई में भी है।
    दूसरी ओर, अमन सहरावत की हार के बावजूद ब्रॉंज़ की संभावना ने सभी को आशा दी।
    युवा एथलीट्स को कभी‑कभी गिरावट मिलती है, पर असली चैंपियन वही होते हैं जो उठते हैं।
    नीरज चोपड़ा का सिल्वर थ्रो भी हमें याद दिलाता है कि मेहनत और तकनीक का मेल किस तरह मीट्रिक को छूता है।
    پاکستان के अरशद नदीम ने स्वर्ण पदक जिता, लेकिन नीरज की लालसा हमें उनके भविष्य के सुनहरे दिन की ओर इशारा करती है।
    भारतीय हॉकी टीम की जीत ने दर्शाया कि टीम वर्क और रणनीति अभी भी खेल की रीढ़ है।
    स्पेन को हराकर उन्होंने मंच पर अपने कौशल को फिर से स्थापित किया।
    गोल्फ की बात करे तो अदिति और दीक्षा ने भी अपने हिस्से की नज़रें नहीं हटायीं, क्योंकि हर शॉट में देश का सम्मान बसा है।
    इन सभी उपलब्धियों को देखते हुए, हम समझते हैं कि खेल केवल शारीरिक शक्ति नहीं, बल्कि मन की शक्ति भी है।
    ये दिन भारतीय खिलाड़ियों को सिखाता है कि कठिनाइयाँ अस्थायी हैं, लेकिन साहस स्थायी रहता है।
    अंत में, हमें सभी एथलीट्स को बधाई देनी चाहिए, चाहे उन्होंने पदक जीतें या सिर्फ अपने दिलों में जीत हासिल की हो।
    क्योंकि असली जीत तब आती है जब हम अपने सपनों को वास्तविकता में बदलते हैं, और यही हमारी राष्ट्रीय भावना को नई ऊँचाइयों तक ले जाती है।
    उम्मीद है आगे भी ऐसे ही पल आएँ और हम सभी को गर्वित करने वाले खेल सौंपे।

  • Chirag P
    Chirag P अगस्त 23, 2024

    विनेश की लड़ाई देख कर दिल गर्म हो गया, उनका जज्बा वाकई में प्रेरणादायक है।

  • Prudhvi Raj
    Prudhvi Raj अगस्त 26, 2024

    नीरज की थ्रो देखिए, 89.45 मीटर तो बहुत अच्छा है, आगे और बेहतर कर सकते हैं।

  • Partho A.
    Partho A. अगस्त 30, 2024

    हॉकी टीम ने स्पेन को हराकर अच्छा प्रदर्शन किया, यह निरन्तर सुधार का प्रमाण है।

  • Heena Shafique
    Heena Shafique सितंबर 2, 2024

    वास्तव में, विनेश की अयोग्यता को लेकर अदालत में लड़ना सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव की रक्षा है; ऐसी पहलें ही हमारे खेल को विश्व मंच पर सम्मान दिलाती हैं।

  • Mohit Singh
    Mohit Singh सितंबर 6, 2024

    इन सब कहानियों में एक ही बात साफ़ दिखती है-भेड़िये का दाँत काटने वाले को ही असली हीरो कहा जाता है।

  • Subhash Choudhary
    Subhash Choudhary सितंबर 9, 2024

    कभी-कभी जीत और हार दोनों ही हमें अंदर तक हिला कर रख देते हैं, पर यही तो असली खेल है।

  • Hina Tiwari
    Hina Tiwari सितंबर 13, 2024

    अमन की हार बूँद समझते हैं, पर ब्रॉंज़ की शान देखते ही बनती है।

  • Naveen Kumar Lokanatha
    Naveen Kumar Lokanatha सितंबर 16, 2024

    अमन ने अपनी मेहनत दिखा दी, अगली बार पेडल जीतने की संभावना बढ़ेगी, बस धीरज रखें।

  • Surya Shrestha
    Surya Shrestha सितंबर 20, 2024

    उल्लेखनीय रूप से, इस ओलम्पिक के परिप्रेक्ष्य में भारतीय एथलीटों की विविध उपलब्धियाँ न केवल राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल विज्ञान के मानदंडों को पुनः परिभाषित करती हैं; अतः निरन्तर समर्थन एवं संरचना अनिवार्य है।

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