केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता और सिंधिया राजघराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार गुरुवार को ग्वालियर में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
दिल्ली में निधन के बाद माधवी राजे के पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश के ग्वालियर लाया जा रहा है। अंतिम संस्कार के लिए सिंधिया परिवार के करीबी रिश्तेदार और परिजन उनके घर पहुंच रहे हैं। अंतिम यात्रा सिंधिया परिवार के ग्वालियर स्थित घर से शुरू होगी।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने माधवी राजे सिंधिया के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि माधवी राजे के निधन से एक युग का अंत हो गया है। वह एक कुशल प्रशासक और समाजसेवी थीं। उनके निधन से सिंधिया परिवार और प्रदेश को अपूरणीय क्षति हुई है।
नेपाल के राजघराने से थीं माधवी राजे का नाता
माधवी राजे सिंधिया का नाता नेपाल के एक राजघराने से था। उनके पिता बीर शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। 1966 में उनकी शादी कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया से हुई थी, जिसके बाद से वह माधवी राजे सिंधिया के नाम से जानी जाने लगीं।
माधवी राजे सिंधिया ने अपने जीवन में सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ग्वालियर में उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान और चिकित्सालय आज भी लोगों की सेवा कर रहे हैं।
ग्वालियर में होगा अंतिम संस्कार
माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार गुरुवार को ग्वालियर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को सिंधिया घराने के ग्वालियर स्थित आवास से अंतिम यात्रा के लिए निकाला जाएगा। अंतिम संस्कार में देश के कई गणमान्य लोगों के शामिल होने की संभावना है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी माता के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। उनके साथ सिंधिया परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहेंगे। अंतिम संस्कार के बाद सिंधिया परिवार के लोग श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करेंगे।
माधवी राजे सिंधिया के निधन से सिंधिया राजघराने का एक युग समाप्त हो गया है। उनके जाने से सिंधिया परिवार और मध्य प्रदेश की जनता को गहरा दुख पहुंचा है। लोग उन्हें एक कर्मठ प्रशासक, समाजसेवी और परोपकारी इंसान के रूप में हमेशा याद रखेंगे।
माधवी राजे सिंधिया का जीवन परिचय
वर्ष | घटना |
---|---|
1940 | नेपाल में जन्म |
1966 | माधवराव सिंधिया से विवाह |
1971-1984 | लोकसभा सांसद |
2001 | पद्म विभूषण से सम्मानित |
2023 | दिल्ली में निधन |
माधवी राजे सिंधिया का जन्म 1940 में नेपाल के राजघराने में हुआ था। 1966 में उनका विवाह माधवराव सिंधिया से हुआ। 1971 से 1984 तक वह लोकसभा सांसद रहीं। 2001 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 14 जून 2023 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
टिप्पणि
माधवी राजे का निधन एक बड़ा झटका है।
मध्य प्रदेश में उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी कई पहलों को आज भी लोग सराहते हैं। ग्वालियर में उनका अंत्यसंस्कार सम्मान के साथ होना उचित है।
हमारी भारतीय संस्कृति की धरोहर को ऐसे महान स्त्री ने हमेशा आगे बढ़ाया। उनका जीवन हमें गर्व का कारण है! 🇮🇳🙂
ज्योतिरादित्य जी को इस क्षति पर शोक व्यक्त करता हूँ।
भाईसाहब, ऐसा नहीं हो सकता!! सरकार ने एकदम बेवकूफ़ी भरा फैसला किया!! माधवी राजे जैसे समाजसेवी को कैसे भूलेंगे!!!
अरे वाह! क्या बात है, इस दुखद समाचार से दिल के बटन दब गए!!! ग्वालियर की हवा भी अब उदास लगती है!!!
माधवी राजे सिंधिया का निधन भारतीय राजनीति में एक क्षणिक लेकिन महत्वपूर्ण मोड़ है।
वे न केवल एक समाजसेवी थीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रमुख आयाम भी थीं।
उनका जन्म नेपाल के राजघराने में हुआ, जिससे उनका दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तृत था।
उन्होंने अपने परिवार को शिक्षा के प्रति अत्यधिक जागरूक किया।
ग्वालियर में स्थापित शिक्षण संस्थान आज भी कई छात्रों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी स्थापित थैरेपी क्लिनिक ने कई रोगियों को राहत दिलाई।
उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्य किए।
उनका विवाह 1966 में हुआ, जो उस समय के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण संकेत था।
1971 से 1984 तक उन्होंने लोकसभा में सेवा की, जिससे उनका राजनीतिक अनुभव गहराया।
2001 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो उनके उत्कृष्ट कार्य का प्रमाण है।
उनका निधन दिल्ली में हुआ, परन्तु उनका लाश ग्वालियर लाया गया, जिससे परिवार और समाज को सान्त्वना मिली।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके योगदान को सराहा, जिससे उनका सम्मान और बढ़ा।
अब उनका परिवार इस शोक को सहन कर रहा है, परन्तु उनका आदर्श जीवित रहेगा।
हमें उनके द्वारा स्थापित संस्थानों को आगे भी समर्थन देना चाहिए।
अंत में, उनकी स्मृति में हम सभी को सेवा और समर्पण की भावना को अपनाना चाहिए।
इस दुख में हम सभी को एकजुट होकर उनके सामाजिक योगदान को याद रखना चाहिए।
उनके द्वारा स्थापित अस्पताल में अब भी कई रोगी मुफ्त में उपचार ले रहे हैं।
भाई! उन्के काम तो accha he, sab log usse pyar karte h!!
राजनीति में लोगों को ऐसे ही दुरुपयोग कर दिया जाता है, बस बीमार ही नहीं, दिल भी टूट जाता है।
उन्होने सामाजिक पूँजी को रणनीतिक रूप से अभिसरित किया।
कभी कभी ऐसे समाचार से बस थक जाता हूँ 😒
भले ही दुख है लेकिन हम आगे बढ़ेंगे 😊
आपने सामाजिक पूँजी का उल्लेख किया, यह एक महत्वपूर्ण पहलू है। माधवी राजे ने इस पूँजी को स्थानीय स्तर पर बुनियादी सुविधाओं में परिवर्तित किया। ग्वालियर के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुँच बढ़ाने के लिए उन्होंने कई फंडिंग स्कीम शुरू की। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को प्रोत्साहित किया। इन प्रयासों ने न केवल आर्थिक विकास को तेज किया, बल्कि सामाजिक समानता को भी बढ़ावा दिया। उनका दृष्टिकोण आज भी कई नीति निर्माताओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। इसलिए उनका स्मरण हमें सतत विकास के मॉडल को जारी रखने की याद दिलाता है। यही कारण है कि उनका अंत्यसंस्कार राजकीय सम्मान के साथ होना चाहिए।